स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, बीएचयू ने जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हासिल किया एशिया में 60वां स्थान
फोटो प्रतीक


वाराणसी,25 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, बीएचयू ने जैव प्रौद्योगिकी में बड़ी छलांग लगाई है। 183 देशों के 14,131 संस्थानों के मूल्यांकन में स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, बीएचयू को सभी भारतीय संस्थानों (विश्वविद्यालयों, अनुसंधान और इंजीनियरिंग संस्थानों) को शामिल करते हुए, जैव प्रौद्योगिकी विभागों में प्रथम स्थान मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली से वित्तीय सहायता के साथ 1986 में स्थापित, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, बीएचयू भारत में जैव प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले प्रमुख विभागों में से एक है। विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। बताया गया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी, यूजीसी-सैप और डीएसटी-फिस्ट द्वारा समर्थित), वाराणसी को भारतीय संस्थानों (विश्वविद्यालयों, अनुसंधान और इंजीनियरिंग संस्थानों) में सर्वोच्च जैव प्रौद्योगिकी विभाग के रूप में मान्यता दी गई है और शीर्ष 100 विज्ञान संस्थानों की एडूरैंक 2025 सूची में एशियाई संस्थानों में 60वां स्थान हासिल किया है। भारतीय संस्थानों के केवल 3 जैव प्रौद्योगिकी विभाग एशिया में शीर्ष 100 में स्थान पर हैं। जहां, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, बीएचयू: 60वां, जैव प्रौद्योगिकी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली: 70वां और जैव प्रौद्योगिकी, दिल्ली विश्वविद्यालय: 85वां। साथ ही, यह दुनिया भर के संस्थानों में 306वें स्थान पर है। बताते चले कि एडुरैंक एक स्वतंत्र वैश्विक रैंकिंग प्लेटफॉर्म है, जो अनुसंधान प्रकाशन रेटिंग, उद्धरण प्रभाव, शैक्षणिक प्रभाव और छात्र नामांकन जैसे मापनीय संकेतकों के आधार पर 183 देशों के 14,131 से अधिक संस्थानों का मूल्यांकन करता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी