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बीकानेर, 25 जुलाई (हि.स.)। जैन तेरापंथ धर्म संघ के 10वें अधिशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ की 105वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारत सरकार 100 रुपये का स्मारक सिक्का जारी करने जा रही है।
आचार्य महाप्रज्ञ को एक महान संत, योगी और दार्शनिक के रूप में याद किया जाता है। वे एक बेहतरीन लेखक के साथ अच्छे वक्ता और कवि भी थे । उनके कार्यों और शिक्षाओं ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है। 14 जून 1920 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के टमकोर में जन्मे आचार्य महाप्रज्ञ का तेरापंथ धर्म संघ में दीक्षित होने से पहले गृहस्थ जीवन का नाम नथमल चौरड़िया था, जो मुनि दीक्षा के पश्चात मुनि नथमल बने और मुनि नथमल आगे चलकर तेरापंथ धर्म संघ के दसवें आचार्य महाप्रज्ञ बने।
तेरापंथ धर्म संघ से जुड़े सिक्कों का संग्रहण और अध्ययन करने वाले बीकानेर के सुधीर लुणावत ने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ पर जारी होने वाले सिक्के का कुल वजन 40 ग्राम होगा जो कि शुद्ध चांदी से बना होगा। इस सिक्के की गोलाई 44 मिलीमीटर होगी तथा इस सिक्के का निर्माण भारत सरकार की मुम्बई टकसाल द्वारा किया गया है। सुधीर के अनुसार इस सिक्के की संभावित कीमत 8000 रुपये के आस पास रहने की उम्मीद है । इस सिक्के का अनावरण अगस्त महीने में तेरापंथ के वर्तमान आचार्य महाश्रमण जी के सानिध्य में अहमदाबाद में होगा। ज्ञात रहे कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा इस सिक्के को जारी करने के लिए गजट अधिसूचना 24 जुलाई 2025 को जारी कर दी गई है।
आचार्य महाप्रज्ञ के इस 100 रुपए के स्मारक सिक्के को जारी करवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली कोलकता की दीवा जैन (बैंगानी)के अनुसार यह सम्पूर्ण जैन समाज के लिए हर्ष और गौरव का विषय है कि हमारे आराध्य पर भारत सरकार सिक्का जारी कर रही है। इस सिक्के के एक तरफ मध्य भाग में आचार्य महाप्रज्ञ का फोटो होगा जिसकी ऊपरी परिधि पर हिंदी में तथा निचली परिधि पर अंग्रेजी में आचार्य महाप्रज्ञ की 105वीं जयंती लिखा होगा । आचार्य महाप्रज्ञ के फोटो के दाएं और बाएं उनका जीवन काल क्रमशः 1920 तथा 2010 लिखा होगा । चित्र के ठीक नीचे सिक्का जारी होने वाला वर्ष 2025 लिखा होगा। सिक्के के दूसरी तरफ अशोक स्तम्भ के नीचे रुपए के प्रतीक चिन्ह के साथ मूल्यवर्ग 100 लिखा होगा जिसके दाएं और बाएं हिंदी तथा अंग्रेजी में भारत और इंडिया लिखा होगा। इस सिक्के के जारी होने की खबर से सिर्फ बीकानेर ही नहीं अपितु संपूर्ण देशभर के जैन तेरापंथ समाज में खुशी की लहर है।
तेरापंथ के नौंवे आचार्य तुलसी ने मुनि नथमल का महाप्रज्ञ नामकरण गंगाशहर में किया था तथा आचार्य तुलसी ने अपने जीवनकाल में ही महाप्रज्ञ जी को तेरापंथ का 10 वें आचार्य बना दिया था। आचार्य महाप्रज्ञ की स्मृति में गंगाशहर नई लाइन में महाप्रज्ञ स्तंभ भी बनाया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव