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-ट्रंप के हार्वर्ड पर हमले के बाद रिपब्लिकन नेताओं का उच्च शिक्षा पर राष्ट्रव्यापी निशाना
वॉशिंगटन डीसी, 23 जुलाई (हि.स.)। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई अब पूरे अमेरिका में उच्च शिक्षा प्रणाली पर रिपब्लिकन नेताओं के व्यापक हस्तक्षेप का रूप लेती जा रही है। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय की कुछ नीतियों में बदलाव की मांग करते हुए अरबों डॉलर की संघीय निधियों को फ्रीज कर दिया है। यह कदम देशभर में निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों पर सरकार के बढ़ते नियंत्रण का प्रतीक बनता जा रहा है।
हार्वर्ड के अलावा भी इंडियाना, फ्लोरिडा, ओहायो, टेक्सास, आयोवा और इडाहो जैसे रिपब्लिकन-शासित राज्यों में अधिकारी विश्वविद्यालयों के संचालन, पाठ्यक्रम और शैक्षणिक स्वतंत्रता पर नियंत्रण की कोशिशें तेज कर रहे हैं। इन प्रयासों के तहत विश्वविद्यालयों के कुलपति चयन की प्रक्रिया, बोर्ड गठन, पाठ्यक्रम निर्धारण और प्रोफेसरों के कार्यकाल की शर्तों में सरकार हस्तक्षेप कर रही है।
रिपब्लिकन नेता यह तर्क दे रहे हैं कि अमेरिकी विश्वविद्यालय बहुत उदार हो गए हैं और छात्रों को अत्यधिक ऋण के बोझ तले दबा रहे हैं। पहले उन्होंने क्रिटिकल रेस थ्योरी (सीआरटी) के खिलाफ अभियान चलाया, जिसमें यह सिखाया जाता है कि अमेरिका के संस्थानों में नस्लवाद निहित है। इसके बाद उनका निशाना बना विविधता, समावेशन और समानता से जुड़े कार्यक्रम।
इन प्रयासों का एक बड़ा उद्देश्य फैकल्टी और छात्र समुदाय की निर्णय प्रक्रिया में भूमिका को सीमित करना भी है। रिपब्लिकन-प्रभावित राज्यों में विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को चुनौती देते हुए सरकारें प्रशासनिक फैसलों में सीधा दखल देने की कोशिश कर रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हस्तक्षेप शिक्षा को राजनीतिक रंग देने का प्रयास है, जिससे शैक्षणिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी को नुकसान हो सकता है। जहां एक ओर रिपब्लिकन नेतृत्व इसे वास्तविकता से जोड़ने का प्रयास बता रहा है, वहीं कई शिक्षाविदों और छात्र संगठनों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय