ग्वालियर: कर्म के साथ किसी की चतुराई नहीं चलती: सुबल सागर
ग्वालियर, 18 जुलाई (हि.स.)। तुम्हारी चतुराई हमारे और तुम्हारे बीच रह सकती है, लेकिन कर्म के साथ किसी की चतुराई नहीं चलती। कर्म का दरबार सत्य का दरबार है। यहां जो जैसा बोया वैसा ही काटना पड़ता है। तिल-तुष मात्र न तो घटता है, न बढ़ता है और न ही बंधे कर
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