भगवान भरोसे चल रहा कोरकू ढाना मालेगांव स्कूल
अक्सर स्कूल में बंद रहता है ताला
भगवान भरोसे चल रहा कोरकू ढाना मालेगांव स्कूल


भगवान भरोसे चल रहा कोरकू ढाना मालेगांव स्कूल


हरदा, 13 जुलाई (हि.स.)। हरदा जिले के वनांचल में सरकारी स्कूल भगवान भरोसे चल रहे हैं। शिक्षक यदा-कदा आते हैं और जब आते हैं तो पढ़ाते नहीं, बच्चे दिन भर खेलते रहते हैं। माता-पिता बच्चों को पढ़ने भेजते हैं और दिन भर खेल कर वापस चले जाते हैं। टिमरनी जनपद के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के अधिकांश स्कूलों की यही स्थिति है। शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार लाने के तो अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। जो बौने सिद्ध हो रहे हैं। शिक्षकों की नीति नियति बच्चों के हित में नहीं है। जिसके कारण सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। अधिकांश स्कूलों की हालत बहुत चिंताजनक है। पांचवी के बच्चों को 10 तक पहाड़ा नहीं बनता है। कक्षा के अनुरूप उनमें दक्षता नहीं रहती है। बावजूद बच्चों की पढ़ाई पर जोर नहीं दिया जा रहा है।

खेलते नजर आते हैं मालेगांव स्कूल के बच्चे -

वनांचल के शासकीय प्राथमिक शाला कोरकू ढाना मालेगांव के बच्चे खेलते नजर आते हैं। गांव के प्रेम आहके, शिव प्रसाद धुर्वे, सीताराम धुर्वे, अर्जुन आहके, रतन इवने, रतिराम आहके, साहब लाल धुर्वे, पतिराम, जंगली पदम, राजेश उईके, श्यामलाल पदम, शिवराम धुर्वे ने बताया कि कोरकू ढाना मालेगांव स्कूल के शिक्षक नियमित उपस्थिति नहीं रहते हैं। स्कूल में ताला लगा रहता है और बच्चे ग्राउंड में खेलते नजर आते हैं। ऐसी स्थिति आये दिन बनती रहती है। स्कूल में दो शिक्षिका पदस्थ है।

ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षिका अनीता ठाकुर सप्ताह में कभी-कभी आती है। एक शिक्षिका मालेगांव स्कूल में पदस्थ है और दूसरी पढ़ाने जाती है अक्सर ऐसी स्थिति बनती है दिन भर खेल कर बच्चे 4 बजे घर चले जाते हैं। दिन भर खेल कर टाइम पास करने वाले बच्चों का शैक्षणिक स्तर काफी निम्न है। जिसके कारण बच्चों की स्थिति बेहद चिंताजनक है । बच्चों के शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं आ रहा है।

निरीक्षण के नाम पर की जा रही खानापूर्ति -

कोरकू ढाना मालेगांव व स्कूल संचालन में लंबे समय से खानापूर्ति की जा रही है। फिर भी निरीक्षण में विभागीय अधिकारियों को कुछ नहीं मिलता है। जन शिक्षक, बी.आर.सी. कब निरीक्षण करने आते हैं और चले जाते हैं। इसका पता नहीं चल पाता है। ग्रामीणों का दावा है निरीक्षण करने कोई आता ही नहीं है। सब कुछ कागजों में निरीक्षण करके खाना पूर्ति कर ली जाती है। मालेगांव, कोरकूढाना स्कूल तो एक बनिक है। इसी तरह के वनांचल में अनेक स्कूल है, जहां पर गंभीर अनियमित्ताएं हैं।

जर्जरभवनों में चल रहे स्कूल -

वनांचल में अनेक स्कूल तो जर्जर भवनों में लग रहे हैं। लगातार बारिश होने पर पानी छत से टपकता रहता है और ऐसे जर्जर भवनों में बैठाकर अध्यापन कार्य करवाया जाता है। जबकि जर्जर भवनों में कक्षाएं नहीं संचालित करने का आदेश है। जिसका पालन नहीं किया जा रहा है जानकारी देने के बाद भी जर्जर भवनों की तरह ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अधिकांश शिक्षकों ने तो जानकारी दी है फिर भी इस स्कूल में कक्षाओं का संचालन करवाया जा रहा है।

ग्रामीणों में आक्रोश का माहौल -

मालेगांव के बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है। पढ़ाई नहीं होने से पालक परेशान है और जिला कलेक्टर सहित अन्य जवाबदेह अधिकारियों का ध्यान इस और आकृष्ट करते हुए कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो ग्रामीण इसका खुलकर विरोध करने को बाध्य हो जायेंगे। ग्रामीणों का आक्रोश तेजी से बढ़ रहा है। शिक्षक नियमित स्कूल नहीं जाकर बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं। इससे ग्रामीणों में आक्रोश का माहौल है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से शिक्षक गायब रहते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो निरीक्षण करके उनके खिलाफ कार्यवाही की जाती है। शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने से जाहिर हो रहा है कि जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत समझ में आ रही है।

हरदा जिला परियोजना समन्वक, बलवंत पटेल का कहना है कि मालेगांव स्कूल की शिक्षिका बिना सूचना अनुपस्थित थी, उस दिवस का वेतन काटने के निर्देश देने के साथ-साथ सोमवार को संकुल प्राचार्य राहतगांव विद्यालय का निरीक्षण कर कार्रवाई का अल्टीमेटम देंगे और पूर्व में भी बिना सूचना अनुपस्थित पर वेतन काटने की कार्यवाही की जा चुकी है बार-बार ऐसा किए जाने पर नोटिस देकर कार्यवाही की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार / Pramod Somani