सावन माह के पहले दिन गंगा द्वार से विश्वनाथ धाम तक किया शिवार्चन, शिव पंचाक्षर मंत्र की गूंज
वाराणसी, 11 जुलाई (हि.स.)। भगवान शिव को अति प्रिय श्रावण मास के प्रथम दिन सूरज की किरणें धरती पर आने के साथ नमामि गंगे ने योगी वेद विज्ञान विद्यापीठ के वेदपाठी बटुकों के साथ शिव-शक्ति की आराधना की। नमामि गंगे के सदस्यों और बटुकों ने श्री काशी विश्वन
गंगा द्वार पर नमामि गंगे के सदस्य


वाराणसी, 11 जुलाई (हि.स.)। भगवान शिव को अति प्रिय श्रावण मास के प्रथम दिन सूरज की किरणें धरती पर आने के साथ नमामि गंगे ने योगी वेद विज्ञान विद्यापीठ के वेदपाठी बटुकों के साथ शिव-शक्ति की आराधना की। नमामि गंगे के सदस्यों और बटुकों ने श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार से धाम तक शिवार्चन किया। इस दौरान सनातन संस्कृति का प्रतीक बाबा विश्वनाथ का दरबार हर हर महादेव के उद्घोष से गूंजता रहा। भगवान शिव की कृपा से देश में सुख, शांति, समृद्धि की कामना से शिव पंचाक्षर मंत्र 'नमः शिवाय', शिव सहस्त्र नाम, द्वादश ज्योतिर्लिंग व 'हर हर महादेव शम्भू काशी विश्वनाथ गंगे' का जाप भी किया गया। हर हर गंगे- नमामि गंगे के जयकारे के बीच गंगा किनारे गंदगी न करने का आह्वान भी किया गया। नमामि गंगे के राजेश शुक्ला ने बताया कि हमारे वेदों में मान्यता है कि भगवान शिव संसार के समस्त मंगल के मूल हैं। यजुर्वेद में परमात्मा को ‘शिव’, ‘शंभु’ और ‘शंकर’ नाम से नमन किया गया है। ‘शिव‌‌‘ कल्याणकारी हैं, ‘शंभु’ का भावार्थ मंगलदायक है, ‘शंकर’ का तात्पर्य है ‘आनंद का स्रोत’। शिव-तत्व को जीवन में उतार लेना ही शिवत्व प्राप्त करना है और यही शिव होना है। हमारा लक्ष्य भी यही होना चाहिए। तभी शिवार्चन सफल होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी