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लोकेन्द्र सिंह
मध्य प्रदेश में बूंद-बूंद की सुरक्षा के लिए प्रारंभ हुआ 'जल गंगा संवर्धन अभियान' मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शी पहल है। निकट भविष्य में इसके सुखद परिणाम आने की उम्मीद है। माना जाता है कि शुभ प्रसंग पर शुभ संकल्प के साथ जब कोई कार्य प्रारंभ किया जाता है, तब उसकी सफलता के लिए प्रकृति एवं ईश्वर भी सहयोग करते हैं। प्रदेश सरकार ने गुड़ी पड़वा (30 मार्च) से 30 जून तक प्रदेशस्तरीय 'जल गंगा संवर्धन अभियान' चलाकर जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया। खुशी इस बात की है कि यह अभियान अब जनांदोलन में परिवर्तित हो गया है। सरकार को भी विश्वास नहीं रहा होगा कि जल संरक्षण जैसे मुद्दे को जनता का इतना अधिक समर्थन मिलेगा। यह कहने में अतिरेक नहीं है कि समाज ने इस अभियान को अपनी जिम्मेदारी के तौर पर स्वीकार कर लिया है।
'जल गंगा संवर्धन अभियान' से प्रेरित होकर प्रदेश में अनेक स्थानों पर जल स्रोतों को पुनर्जीवित और व्यवस्थिति किया गया है। वर्षा जल को एकत्र करने की रचनाएं बनाई गई हैं। इस अभियान को गति देने के लिए मनरेगा योजना के अंतर्गत खेत तालाबों, अमृत सरोवरों और कूप रिचार्ज पिट का निर्माण किया गया है। पुरानी जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार भी किया गया है। इस अभियान में 2 लाख 39 हजार जलदूतों का सक्रिय सहयोग मिला। इससे गांव-गांव, नगर-नगर और घर-घर सकारात्मक वातावरण बना। नि:संदेह, यदि यह जनजागरुकता स्थायी हो जाए तो जल गंगा संवर्धन अभियान की सबसे बड़ी सफलता होगी। अभियान को शुरू करते समय सरकार ने जो लक्ष्य तय किया था, उससे कहीं अधिक परिणाम धरातल पर प्राप्त हुआ है।
जल संरक्षण के लिए 38 हजार नए खेत तालाबों का निर्माण किया गया है। खंडवा जिले में 254 करोड़ रुपये की लागत से एक लाख से अधिक कुओं को रिचार्ज किया गया। इसके लिए खंडवा को देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। इंदौर संभाग ने स्वच्छता और जल संरक्षण में नंबर-एक का स्थान हासिल किया है। ये दो प्रमुख उदाहरण हैं। प्रदेश के अन्य जिलों में भी उल्लेखनीय कार्य हुआ है। समूचे मध्य प्रदेश में 70 हजार कुओं, बावड़ियों, नदियों और तालाबों का संरक्षण किया गया। यह भविष्य में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाले हैं।
ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रेरित हैं। याद हो कि प्रधानमंत्री जल संरक्षण के लिए जनांदोलन चलाने का आह्वान कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने राष्ट्रीय जल मिशन के अंतर्गत 'कैच द रेन' अभियान शुरू किया।खास बात यह है कि यादव इसी तर्ज पर 'जल गंगा संवर्धन अभियान' को जनता के बीच ले गए हैं। यह प्रकृति, पर्यावरण एवं समाज के प्रति गहरी संवेदना का प्रतीक है। उल्लेखनीय है कि अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 120वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को देश के लिए अत्यंत आवश्यक बताया था।
अकसर सरकारी अभियान विज्ञापनों एवं कागजों में दम तोड़ देते हैं या फिर उनकी सफलता सोशल मीडिया तक सीमित रह जाती है। मगर मोहन का यह आंदोलन अपने वांछित लक्ष्य से आगे निकल रहा है। मुख्यमंत्री का इस अभियान से जुड़ाव इतना गहरा है कि उन्होंने अभियान की देखरेख के लिए सभी जिलों के प्रभारी मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंपी है। लोग बड़ी संख्या में श्रमदान कर पानी को बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जिला प्रशासन विशेष रूप से नदियों के किनारे देशी प्रजातियों के पौधे रोप रहा है। इससे भू जलस्तर बढ़ रहा है और मिट्टी को नुकसान से बचाया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया गया है। स्कूल और कॉलेजों में जल-संरक्षण पर जन-जागरण अभियान, रैलियां, निबंध प्रतियोगिताएं, जल संवाद और 'जल प्रहरी' जैसी गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है।
अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग और मूल्यांकन प्रणाली की व्यवस्था की गई है। सभी गतिविधियों की जीआईएस ट्रैकिंग और इंपैक्ट वैल्यूएशन किया जा रहा है। सरकार ड्रोन से सर्वेक्षण, वैज्ञानिक तरीके से जलग्रहण क्षेत्र की मैपिंग और भू-जल पुनर्भरण तकनीकों का उपयोग कर रही है। इस अभियान का उद्देश्य केवल जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना ही नहीं, बल्कि उनकी निरंतर देखरेख और संरक्षण सुनिश्चित करना भी है। सरकार ने इन स्रोतों की सफाई, सीमांकन और पुनर्जीवन के लिए जनभागीदारी को प्रोत्साहित किया है। यकीनन, इस अभियान के दूरगामी परिणाम अच्छे होंगे। मानसून की बरसात शुरू हो चुकी है। अब इसके और अधिक प्रभावी परिणाम दिखेंगे। भू-जल स्तर में सुधार होगा, हरियाली बढ़ेगी और मिट्टी में नमी आएगी। इससे पूरे प्रदेश में जल संकट को दूर करने में सहायता मिलेगी।
(लेखक, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं।)
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद