धर्म, विज्ञान और परंपरा के संगम से जल धर्म की पुनर्स्थापना का प्रयास 'जल कथा': संजय सिंह
जल कथा स्थल


जानकारी देते आयोजक


देश में पहली बार साप्ताहिक ‘जल कथा’ का आयोजन 5 जून से

झांसी, 5 जून (हि.स.)। जल संरक्षण को लेकर भारत सरकार निरंतर प्रयासरत है, और कई सामाजिक संगठन भी विभिन्न तरीकों से जन-जागरूकता अभियान चला रहे हैं। किंतु देश में पहली बार, जल सहेली फाउंडेशन के तत्वावधान में झांसी मंडल के ललितपुर में 'जल कथा' का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य तालाबों और नदियों के संरक्षण को जनआंदोलन बनाना है। इस आयोजन के माध्यम से पुराणों में जल के महत्व और वर्तमान विज्ञान युग में जल की आवश्यकता एवं सीमित उपयोगिता पर व्यापक प्रकाश डाला जाएगा। यह बात जल सहेली मंजू लता ने कही। यह आयोजन गुरुवार 5 जून से शुरू हो रहा है। जल संरक्षण के उद्देश्य को लेकर इसको आज मां गंगा के अवतरण दिवस से ही शुरू किया जा रहा है। वहीं जल सहेली फाउंडेशन के संस्थापक संजय सिंह ने इसे धर्म, विज्ञान और परंपरा के संगम से जल धर्म की पुनर्स्थापना का प्रयास बताया।

जलवायु परिवर्तन और जल संकट की बढ़ती चुनौतियों के बीच, जल सहेली फाउंडेशन द्वारा तालबेहट स्थित ऐतिहासिक मानसरोवर झील के किनारे 5 जून से ‘जल कथा’ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 11 जून तक चलेगा और इसका उद्देश्य जनमानस को जल संरक्षण, स्वच्छता और पर्यावरणीय चेतना से जोड़ना है। कथा के पूर्व जल कलश यात्रा निकाली जाएगी, जिसके बाद प्रतिदिन वरुण यज्ञ, सामूहिक श्रमदान, संगोष्ठियाँ, बाल-सांस्कृतिक कार्यक्रम, और प्रदर्शनी का आयोजन होगा। वरुण यज्ञ के माध्यम से जल शुद्धि और पर्यावरण संतुलन का संदेश दिया जाएगा, जबकि श्रमदान के तहत झील की सफाई कर समुदाय को जल संरक्षण की ओर प्रेरित किया जाएगा।

संगोष्ठियों में विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और जल योद्धा भाग लेंगे और जल, स्वच्छता और जन-भागीदारी जैसे विषयों पर संवाद होगा। गुजरात के प्रसिद्ध कथावाचक महेंद्र बापू जी भी इस आयोजन में उपस्थित रहेंगे और जल, जंगल, जमीन जैसे विषयों पर कथा के माध्यम से समाज को जागरूक करेंगे।

जल सहेली फाउंडेशन के संस्थापक संजय सिंह ने कहा कि जल कथा एक सर्वधर्म समभाव से किया जा रहा आयोजन है, जो धर्म, विज्ञान और परंपरा के संगम से जल धर्म की पुनर्स्थापना का प्रयास है।” उन्होंने कहा कि कथा के माध्यम से जल के वैदिक, पौराणिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्त्व को जनसामान्य तक पहुँचाया जाएगा। जल संस्कृति और अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। इसलिए वैदिक और जल परंपराओं के माध्यम से इस कथा में संचेतना विस्तार का व्यापक कार्य किया जाएगा ।

इस दौरान जल सहेली फाउंडेशन की अध्यक्ष मीरा ठाकुर, जल सहेली मंजू लता, राधा कुशवाहा, दीपा मजूमदार और शिवानी सिंह मौजूद रही।

हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया