Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
हल्द्वानी, 02 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पिछले महीने की 'मन की बात' कार्यक्रम में हल्द्वानी के 'बगेट कला' के शिल्पी और जन्मदाता जीवन
जोशी की चर्चा की थी। वैसे तो हल्द्वानी में अनेक नेता, अधिकारी और कई अन्य लोग भी 'बगेट कला' के शिल्पकार जीवन जोशी से मिलने आए, इसके बावजूद
किसी ने भी उनकी मदद और सपने को पूर्ण करने को हाथ नही बढ़ाया । अब पुष्पा मेमोरियल फाउंडेशन ने जीवन जोशी के सपने को पूरा करने का बीड़ा
उठाया है।
हल्द्वानी के पुष्पा मेमोरियल फाउंडेशन ने 'बगेट कला' के शिल्पी जीवन जोशी के सपने को पूरा करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया है। इसके तहत फाउंडेशन ने जीवन जोशी के पहले सपने को पूरा करने के लिए उन्हें औजारों के सेट प्रदान किए हैं। 'बगेट कला' शिल्पी के दो मुख्य सपने हैं। एक वे छोटी-छोटी मूर्तियां बनाना चाहते हैं। ताकि इस 'बगेट कला' को घर-घर पहुंचाया जा सके। लेकिन उनके पास न तो औजार हैं और पैसा। वहीं उनका दूसरा सपना है एक ऐसा संस्थान खोलना, जिसमें वह बच्चों को यह कला सिखा सकें ताकि नई पीढ़ी इसको अपना रोजगार बना सके।
ऐसे में प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम के बाद जीवन जोशी से मिलने तो कई लोग आए। जीवन ने उन्हें अपने सपने के बारे में भी बताया लेकिन, इसके लिए उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं मिली। ऐसे में हल्द्वानी के पुष्पा मेमोरियल फाउंडेशन के प्रमुख गुंजन तिवारी ने इस खबर को पढ़ने के बाद जीवन की मदद करने की कसम ली। उन्हें क्या चाहिए इसके बारे में फाउंडेशन ने पता किया।
इसके बाद पुष्पा मेमोरियल फाउंडेशन के प्रमुख गुंजन तिवारी सोमवार 2 जून की शाम को जीवन जी के पास पहुंचे और फाउंडेशन की ओर से जीवन को जो छोटे-छोटे औजार चाहिए थे, उनके कुछ सेट प्रदान किए। जिन्हें लेते समय जीवन जोशी भावुक हो उठे।
इस संबंध में 'बगेट कला' शिल्पी जीवन जोशी का कहना है कि प्रधानमंत्री की 'मन की बात' कार्यक्रम के बाद कई दिनों तक उनका दिन का खाना खाना भी दुश्वार हो गया था, क्योंकि हर रोज बड़े—बड़े नेता व अन्य लोग मिलने आ रहे थे। उनसे मिलने के बाद सबने मदद को लेकर हामी भी भारी लेकिन, मुलाकात के बाद किसी ने वापस मुड़कर भी नहीं देखा। जिससे वे बहुत निराश हो गए थे। इसी दौरान किसी फोन से उन्हें सूचना दी कि पुष्पा फाउंडेशन के गुंजन तिवारी आपकी मदद करना चाहते हैं।
पुष्पा मेमोरियल फाउंडेशन के प्रमुख गुंजन तिवारी ने इस बारे में बताया कि जब उन्होंने इन छोटे-छोटे औजार के बारे में पता किया तो मालूम चला कि ये औजार तो हल्द्वानी में मिलते ही नहीं हैं, ऐसे में इन औजारों को बाहर से मंगाने में कुछ समय लग गया। जिसके बाद आज पुष्पा मेमोरियल फाउंडेशन की ओर से जीवन जोशी को इनके दो सेट प्रदान किए गए। ताकि वे इनका उपयोग कर अपनी इच्छा के अनुरुप छोटी-छोटी मूर्तियों का निर्माण कर सकें। साथ ही हमारे फाउंडेशन द्वारा इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि भविष्य में हम जोशी जी के माध्यम से बनने वाली कलाकृतियों को ही खरीद कर उपहार के रूप में मुलाकात के दौरान लोगों को गिफ्ट करें।
कौन हैं जीवन जोशी-
उत्तराखंड के अल्मोड़ा के जाखनदेवी के पास गल्ली निवासी हैं जीवन चंद्र जोशी। जीवन जोशी ने हल्द्वानी में आकर अपनी 'बगेट कला' के जरिए शानदार शिल्प
उकेर कर उस पर अथक मेहनत की बदौलत पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है। देवभूमि उत्तराखंड के जीवन जोशी की 'बगेट' कला की प्रधानमंत्री माेदी ने खूब तारीफ की है। वर्तमान में हल्द्वानी के कठघरिया निवासी जीवन जोशी चीड़ के पेड़ की छाल पर अपनी रचनात्मकता उकेरते हैं। वे सारा काम अपने हाथ से करते हैं, उनकी इस कलाकारी को देख हर कोई स्तब्ध हो जाता है।
जीवन चंद्र जोशी का जन्म अल्मोड़ा में हुआ है। दो बरस के होने पर अचानक ही उनके पैर निष्क्रिय हो गए थे। काफी समय बाद जीवन को पता चला कि उन्हें पोलियो है। वे आज तक शारीरिक रुप से दिव्यांग हैं। लेकिन उनकी कलाकृतियों देखने के बाद हर किसी के मुंह से वाह ही निकलता है। लकड़ी की कलाकृति के प्रति उनका रुझान करीब 30 साल पहले शुरु हुआ। लेकिन गंभीरता से काष्ठ कला के क्षेत्र में वे साल 2015 से सक्रिय हुए और उन्होंने अपनी अनूठी कलाशैली को 'बगेट कला' का नाम दिया। चीड़ की छाल को ही कुमांऊँनी में 'बगेट' कहते हैं।
----------------------------
हिन्दुस्थान समाचार / DEEPESH TIWARI