योग अब वैश्विक स्वास्थ्य व शांति की दिशा में एक सशक्त आंदोलन बन चुका हैः प्रतापराव जाधव
योग कनेक्ट सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखालत


योग कनेक्ट कार्यक्रम में मौजूद गजेन्द्र सिंह शेखावत, योग गुरु बाबा रामदेव


योग कनेक्ट कार्यक्रम में मौजूद आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव


नई दिल्ली, 14 जून (हि.स.)। आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने योगा कनेक्ट– एक वैश्विक योग शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की। शनिवार को विज्ञान भवन में आयोजित सम्मेलन में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, स्वामी रामदेव महाराज और स्वामी चिदानंद सरस्वती जी (परमार्थ निकेतन) उपस्थित रहे।

इस मौके पर आयुष मंत्री जाधव ने कहा कि

जैसे-जैसे हम 21 जून, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की ओर अग्रसर हो रहे हैं, आइए हम सब मिलकर इस प्राचीन भारतीय परंपरा को पूरे विश्व तक पहुंचाने का संकल्प लें।

योग केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ का संदेश है। योग को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ आयुष विभाग ही नहीं बल्कि सभी मंत्रालयों के सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। योग सभी सीमाओं, उम्र, लिंग, आर्थिक स्थिति और धर्म से परे है और सिर्फ भारत या भारतीय उपमहाद्वीप तक सीमित नहीं है, जो वास्तव में इस वर्ष के विषय को दर्शाता है। यह हर भारतीय की ज़िम्मेवारी है कि हम अपनी इस प्राचीन धरोहर को विश्व पटल पर और उजागर करें।

कार्यक्रम की शुरुआत में अहमदाबाद विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों और प्रतिभागियों ने दिवंगत आत्माओं को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

इस मौके पर पतंजलि योगपीठ क ेयोगगुरू बाब ारामदेव ने कहा कि सबसे पहला है योग अनुशासन, यानी शरीर का अनुशासन और मन का अनुशासन। योग में जीवन के हर पहलू को संबल और शक्ति प्रदान करने की क्षमता है। योग केवल एक दिन का अभ्यास नहीं होना चाहिए। इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यह सुनिश्चित करें कि भारत के हर गांव से लोग आगे आएं और योग को केवल 21 जून को नहीं, बल्कि प्रतिदिन के जीवन में उतारें। योग दिवस 2025 हमारे स्वास्थ्य, संतुलन और भारत की विरासत के प्रति प्रतिबद्धता का सच्चा प्रतिबिंब बने।

योग गुरु डॉ. हंसाजी योगेंद्र ने कहा कि योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र पद्धति है। योग केवल करने की नहीं, होने की प्रक्रिया है। यह कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे समय-समय पर किया जाए, बल्कि इसे हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन जाना चाहिए। योग का अभ्यास बुद्धि, भावनाओं और जागरूकता के साथ होना चाहिए। सच्चा योग वही है, जिसमें हम जीवन को संतुलन, चेतना और आंतरिक सामंजस्य के साथ जीते हैं। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि योग ही हमें दुनिया से जोड़ता है— यह केवल व्यक्तिगत साधना नहीं, बल्कि एक विश्वव्यापी बंधन है।

उन्होंने योग के गहरे प्रभाव को बताते हुए इस वर्ष की थीम— एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी