भाजपा में संगठन और विधायकों के बीच टकराव की आहट, केंद्रीय पर्यवेक्षक सुनील बंसल आज करेंगे सीधी बातचीत
सुनील बंसल करेंगे आज कोलकाता में मुलाकात


कोलकाता, 14 जून (हि.स.)।

2026 के विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल भाजपा में अंदरूनी खींचतान और असंतोष के स्वर तेज होते नजर आ रहे हैं। इन हालातों को देखते हुए पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक और राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल शनिवार को कोलकाता के सॉल्टलेक स्थित पार्टी कार्यालय में राज्य के भाजपा विधायकों के साथ एक विशेष बैठक करने जा रहे हैं। यह बैठक पार्टी के भीतर लंबे समय से उभरती शिकायतों और आपसी मनमुटाव को दूर करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

राज्य के कई भाजपा विधायक बीते कई महीनों से यह आरोप लगा रहे हैं कि पार्टी संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं। विधायकों की शिकायत है कि न तो उन्हें किसी भी स्तर की योजना में सम्मिलित किया जा रहा है और न ही उनकी क्षेत्रीय समस्याओं को सुना जा रहा है। कुछ विधायकों का कहना है कि वे अपनी बात संगठन तक पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मंच या अवसर नहीं मिल रहा।

विभिन्न पार्टी समितियों के गठन में भी विधायकों की भूमिका लगभग न के बराबर रही है। ऐसे में उनके भीतर असंतोष गहराता जा रहा है, जो अब खुलकर सामने आने लगा है। कई विधायकों ने अपने करीबी हलकों में यह भी कहा है कि पार्टी में संगठन और निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच संवाद की भारी कमी है, जिससे चुनावी तैयारियों पर भी असर पड़ सकता है।

ऐसे में केंद्रीय पर्यवेक्षक सुनील बंसल की यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बंसल इस बैठक में विधायकों से सीधे बात करेंगे और उनकी बातों को गंभीरता से सुनेंगे। बैठक का उद्देश्य केवल समस्या सुनना ही नहीं, बल्कि संगठन और विधायकों के बीच भरोसे की खाई को पाटना भी है।

बैठक में यह भी चर्चा हो सकती है कि आगे पार्टी किस दिशा में जाए, किस तरह से विधायक और संगठन एकजुट होकर चुनावी मोर्चे पर उतरें, और किस प्रकार उनके बीच संवाद को और मजबूत बनाया जा सके।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में राज्य भाजपा के कई संगठनात्मक जिलों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। पार्टी का फोकस अब बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय और मजबूत बनाने पर है। हालांकि, प्रदेश नेतृत्व को लेकर भी चर्चाएं जारी हैं कि क्या मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार चुनाव तक बने रहेंगे या नेतृत्व में बदलाव होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय