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मंडी, 14 जून (हि.स.)। डॉ.यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, थुनाग द्वारा ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025’ के अंतर्गत एक-एक दिवसीय दो प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण शिविर ग्राम पंचायत बग्गी विकास खंड बल्ह और ग्राम पंचायत थुनाग विकास खंड जंजैहली में आयोजित किए गए, जिनमें किसान, महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्य, युवा एवं पंचायत प्रतिनिधि उत्साहपूर्वक शामिल हुए। प्रशिक्षण का उद्देश्य स्थानीय किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, वैज्ञानिक खेती, मूल्य संवर्धन, फसल विविधीकरण, रोग एवं मृदा प्रबंधन, पशुपालन, औषधीय पौधों की खेती, फल-सब्जी प्रसंस्करण, जलवायु अनुकूल कृषि और कृषि वानिकी जैसी महत्वपूर्ण विषय वस्तु से अवगत कराना था, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में आय और रोजगार के नए अवसर सृजित हो सकें।
शिविर में खरीफ फसलों की उन्नत खेती के साथ-साथ कम उपयोग में लाए जाने वाले फलों जैसे कैंथ के औषधीय गुणों, उनके स्वास्थ्य लाभ और उनसे बने जैम, जूस, कैंडी जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों की संभावनाओं पर चर्चा की गई। किसानों को टौर की पत्तियों से पारंपरिक पत्तल बनाकर आजीविका के अवसर बढ़ाने के लिए भी प्रेरित किया गया। इसके अतिरिक्त, उपोष्ण कटिबंधीय फलों में रोग प्रबंधन की वैज्ञानिक तकनीकों, शीतोष्ण फलों के कटाई उपरान्त रखरखाव, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, रेबीज और टीबी जैसे पशु रोगों की रोकथाम तथा औषधीय पौधों की सहायता से थनैला नियंत्रण की विधियों की जानकारी दी गई। जंगली गेंदा की वैज्ञानिक खेती, सतत कटाई, प्रसंस्करण और इसके आवश्यक तेल के औद्योगिक उपयोग की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के वैज्ञानिकोंविजय राणा, डॉ. किशोर शर्मा, डॉ. किशोर कुमार ठाकुर, डॉ. सरिता देवी, डॉ. अरुणा मेहता, डॉ. सुनील मारपा, डॉ. शिवानी, डॉ. युर्मिला, डॉ. गरिमा, डॉ. हिमानी और डॉ. रजत, ने विभिन्न तकनीकी विषयों पर व्यावहारिक जानकारी प्रदान की। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल उद्देश्य किसानों को स्थानीय संसाधनों के वैज्ञानिक एवं व्यावसायिक उपयोग के प्रति जागरूक करना, उन्हें तकनीकी रूप से सशक्त बनाना तथा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करना था।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा