डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती मामला: 'योग्य' शिक्षकों ने फिर शुरू किया आमरण अनशन
डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती मामला: 'योग्य' शिक्षकों ने फिर शुरू किया आमरण अनशन


कोलकाता, 13 जून (हि.स.) ।

पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में नियुक्त 'निर्दोष' यानी 'योग्य' शिक्षकों ने एक बार फिर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह प्रदर्शन कोलकाता के साल्ट लेक स्थित पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (डब्ल्यूबीएसएससी) के कार्यालय के पास चल रहा है। इन शिक्षकों की नौकरियां इस साल अप्रैल में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद रद्द कर दी गई थीं।

शुक्रवार सुबह को नए सिरे से शुरू हुए इस अनशन में कुल 10 शिक्षक शामिल हुए हैं। यह नया आंदोलन उस समय शुरू हुआ है जब डब्ल्यूबीएसएससी द्वारा 30 मई को खाली पदों को भरने की प्रक्रिया से जुड़ी अधिसूचना जारी की गई है।

प्रदर्शनकारी शिक्षक 'योग्य शिक्षक-शिक्षिका अधिकार मंच' के बैनर तले एकजुट हैं। इनका कहना है कि वे दोबारा किसी परीक्षा में नहीं बैठेंगे क्योंकि उन्होंने पहले ही वैध और नियमों के अनुसार परीक्षा पास की थी। उनका दावा है कि वे 'घूस देकर नियुक्त हुए दोषी' उम्मीदवारों की श्रेणी में नहीं आते, फिर भी सभी की नौकरियां सामूहिक रूप से रद्द कर दी गईं।

उनका दूसरा तर्क है कि यदि राज्य सरकार और आयोग पहले ही निर्दोष और दोषी शिक्षकों की सूची अलग-अलग प्रकाशित कर देते, तो कलकत्ता हाईकोर्ट और फिर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सभी नियुक्तियों को रद्द नहीं किया जाता।

यह दूसरी बार है जब ये शिक्षक आमरण अनशन पर बैठे हैं। इससे पहले इन्होंने 21 अप्रैल को क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसे 26 अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा बातचीत का आश्वासन मिलने के बाद स्थगित कर दिया गया था। हालांकि इस बीच वे आयोग कार्यालय के सामने धरने पर बैठे रहे।

एक प्रदर्शनकारी शिक्षक ने कहा, राज्य सरकार ने हमारी एक भी मांग पर ध्यान नहीं दिया। कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। इसलिए हम फिर से आमरण अनशन शुरू करने को मजबूर हैं।

गौरतलब है कि तीन अप्रैल को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें डब्ल्यूबीएसएससी के माध्यम से की गई 25 हज़ार 753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। अदालत ने कहा था कि आयोग यह साबित करने में असफल रहा कि कौन से उम्मीदवार दोषी थे और कौन निर्दोष, इसलिए पूरी चयन सूची ही रद्द करनी पड़ी।

इस आदेश के बाद राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएसएससी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की हैं, जिन पर सुनवाई अभी लंबित है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर