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सहरसा, 13 जून (हि.स.)।जिले में 13 जून का दिन महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बन गया । इस दिन जिले के 24 गांवों में एक साथ आयोजित महिला संवाद सत्रों ने ग्रामीण जीवन में एक नई चेतना जगाई ।
इन सत्रों में 6,000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया । यह आयोजन महज औपचारिकता नहीं, बल्कि एक आंदोलन का रूप ले चुका है, जिसमें हर महिला आत्मबल से भरी हुई अपनी आवाज़ बुलंद कर रही है ।गाँव की चौपालों पर महिलाओं ने पहली बार अपनी समस्याओं, अनुभवों और अधिकारों पर खुलकर चर्चा की । यह पहल महिला संवाद कार्यक्रम के तहत शुरू हुई थी, जिसमें अब तक जिले के 1,369 ग्राम संगठन और 3.4 लाख महिलाएं जुड़ चुकी हैं ।
संवाद सत्रों के दौरान महिलाओं ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई अहम मुद्दों को उठाया, जैसे पेंशन में कटौती, गाँव में कॉलेज की आवश्यकता और अंधेरी सड़कों पर रोशनी की माँग।परिवर्तन के पीछे संवाद रथ का भी बड़ा योगदान रहा । ये 12 मोबाइल वैन, जिनमें एलईडी स्क्रीन लगी हैं, गाँव-गाँव जाकर सरकारी योजनाओं की जानकारी दे रही हैं और साथ ही प्रेरणादायक कहानियाँ दिखा रही हैं । इन कहानियों के माध्यम से महिलाएं न केवल योजनाओं को समझ रही हैं,बल्कि उनमें अपनी भूमिका को भी पहचान रही हैं।
महिला संवाद कार्यक्रम केवल विचारों केआदान-प्रदान तक सीमित नहीं है । यह अब जमीनी स्तर पर नीतियों को आकार देने का माध्यम बन चुका है । महिलाओं के विचार अब निर्णय प्रक्रिया को नई दिशा दे रहे हैं । पंचायत प्रतिनिधि महिलाएं आत्मविश्वास के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार हैं ।यह स्पष्ट हो गया है कि सहरसा जिले की महिलाएं अब केवल दर्शक नहीं, बल्कि नेतृत्व की धुरी बन चुकी हैं । उनकी आवाज़, उनके सवाल और उनकी आकांक्षाएँ गाँव-गाँव में बदलाव की नींव रख रही हैं ।
हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार