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जयपुर, 13 जून (हि.स.)। कृषि विभाग ने गंभीर लापरवाही और खाद व बीज कंपनियों से मिलीभगत के आरोप में 11 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया हैै।
कृषि आयुक्तालय से जारी आदेशों के मुताबिक निलंबित किए गए अफसरों की कंपनियों के साथ मिलीभगत थी। इसके साथ ड्यूटी में गंभीर लापरवाही बरती, अब इनके खिलाफ सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। कृषि विभाग पिछले कुछ समय से नकली खाद बीज कम्पनियों के खिलाफ लगातार छापेमारी कर रहा है, जिसके चलते शुक्रवार को कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीना के निर्देश पर बड़ी कार्रवाई की गई है। कृषि विभाग ने गंभीर लापरवाही और खाद व बीज कंपनियों से मिलीभगत के आरोप में दो अलग-अलग आदेश जारी कर 11 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. जिसके बाद से विभाग में हड़कंप मच गया है। इनमें से 8 अधिकारियों पर फैक्ट्री मालिक से मिलीभगत करके घटिया खाद बनाने का आरोप था, जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। इसके अलावा अवैध भंडारण का निरीक्षण करने समय पर न पहुंचने वाले अधिकारियों को भी तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि गत 29–30 मई को किशनगढ़ अजमेर में नकली खाद बनाने वाली कंपनियों पर कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीना की छापेमारी के बाद पूर्व में दिसंबर 2024 में कृषि विभाग के अधिकारियों की इन कंपनियों के साथ गहरी सांठगांठ सामने आई ,जिससे नकली खाद की ये कंपनियां वर्षों से बिना किसी रोक-टोक व डर के धडल्लों से संचालित की जारी रही थी। इन कंपनियों में बनी नकली डीएपी, एनपीके, एसएसपी, एमओपी व फ्रॉम आदि की न केवल राज्य में सप्लाई की जारी थी बल्कि देश के लगभग 15-16 अन्य राज्यों में भी सप्लाई की जा रही थी। साथ ही तीन से चार कंपनियों में इफको के सागरिका जैसे उत्पाद भी बनाए जा रहे थे।
किशनगढ़ की फैक्ट्रियों का अधिकारियों द्वारा 30 दिसंबर 2024 को निरीक्षण किया गया था, लेकिन इस निरीक्षण में किसी भी अधिकारी ने इन कंपनियों के गोरख धंधे का भांडाफोड़ नहीं किया, बल्कि निरीक्षण रिपोर्ट को ही दबा कर लिया गया।
कंपनी संचालकों व गोपनीय सूत्रों द्वारा भी यह बात कृषि मंत्री तक पहुंचने पर मंत्री ने तत्काल इस पत्रावली को बाहर निकलवाकर जांच करने पर खबर सही पाई । इस प्रकार इन अधिकारियों द्वारा घोर लापरवाही बरतने व उर्वरक विर्निमाण इकाई मालिकों के साथ गहरी सांठ-गाठ कर नकली उर्वरक किसानों को उपलब्ध कराने में प्रथम दृष्ट्या पूर्ण संलिप्तता पाए जाने पर बंशीधर जाट, तत्कालीन उप निदेशक कृषि, ज्वाला प्रताप सिंह, सहायक निदेशक कृषि, गोविन्द सिंह नरूका, सहायक निदेशक कृषि , मुकेश कुमार चौधरी, सहायक निदेशक कृषि , राजवीर ओला, कृषि अधिकारी (योजना), सौरभ गर्ग, तत्कालीन कृषि अधिकारी, अजमेर, मुकेश कुमार माली, तत्कालीन कृषि अधिकारी, अजमेर एवं हाल संयुक्त निदेशक कृषि ब्यावर, कैलाश चन्द्र शर्मा, तत्कालीन कृषि अधिकारी हाल उप परियोजना निदेशक (आत्मा), अजमेर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है व इनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए अधिकारियों को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 13 (1) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निलंबित किया गया है।
इसी तरह कार्यालय संयुक्त निदेशक कृषि जिला परिषद जयपुर के द्वारा उर्वरकों से अवैध भण्डारण की शिकायत मिलने पर जब्ती की कार्यवाही करने के लिए शिकायती स्थल पर नहीं पहुंचने की गंभीर लापरवाही एवं उच्च अधिकारियों के आदेश की अवहेलना किये जाने पर लोकेन्द्र सिंह, सहायक निदेशक कृषि (मुख्यालय), सुनील कुमार बरडिया, कृषि अधिकारी (सामान्य) एवं प्रेम सिंह कृषि अधिकारी (मिशन), कार्यालय संयुक्त निदेशक कृषि (वि.) जिला परिषद जयपुर के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए निलंबित किया गया है। इन उक्त सभी अधिकारियों का निलंबनकाल में मुख्यालय कृषि आयुक्तालय, जयपुर रहेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / संदीप