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नालंदाप,बिहारशरीफ 11 जून (हि.स)। नालंदा जिले के ग्रामीण इलाको से लेकर शहरी क्षेत्रों में संचालित 232 आंगनबाड़ी केंद्रों पर इस भीषण गर्मी के दिनों में भी बच्चों को ग्रीष्मावकाश नहीं मिला है, जहां एक ओर निजी विद्यालयों में दो सप्ताह पहले से ही गर्मी की छुट्टियां आरंभ हो गई हैं और सरकारी स्कूलों में भी 2 जून से अवकाश घोषित हो चुका है। वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों में अब भी छोटे बच्चों को नियमित रूप से बुलाया जा रहा है।हर दिन सुबह 7:30 बजे से 11:30 बजे तक ये केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें तीन से छह वर्ष तक के बच्चे आते हैं।
भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के बीच सेविका और सहायिका किसी तरह बच्चों को केंद्र तक ला रही हैं और फिर भोजन करवाकर वापस भेज रही हैं। कई अभिभावक अब इस भीषण गर्मी में बच्चों को केंद्र भेजने से इनकार कर रहे हैं।कुछ सेविकाओं ने बतायाकि पर्यवेक्षण में आने वाली अधिकारी 9 बजे के बाद केंद्र पर पहुंचती हैं और यदि बच्चों की संख्या कम मिलती है तो सेविकाओं को कार्यवाई की धमकी दी जाती है।
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि जब सभी सरकारी स्कूल और कॉलेज बंद हैं तो छोटे बच्चों के आंगनबाड़ी केंद्र क्यों खुले हैं। आईसीडीएस कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक संतोष कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार वर्ष में 300 दिन पोषक आहार दिया जाना अनिवार्य है। छुट्टियों के रूप में 52 रविवार और 13 अन्य छुट्टियां मिलाकर 65 दिन पहले से तय हैं। शेष 300 दिनों के संचालन में कोई परिवर्तन वरीय पदाधिकारी के आदेश से ही संभव है।
इस संबंध मेंसीडीपीओ सीमा कुमारी ने भी माना कि इन बच्चों को ग्रीष्मावकाश मिलना चाहिए और यह उनका मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि विभाग को इस संबंध में पत्र भेजा जा रहा है ताकि आंगनबाड़ी केंद्रों में भी ग्रीष्मावकाश घोषित किया जा सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रमोद पांडे