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उज्जैन, 11 जून (हि.स.) महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी दिलीप गुरू के पुजारी प्रतिनिधि प्रशांत शर्मा उर्फ बबलू गुरू को मंदिर प्रबंध समिति ने एक्ट के तहत आदेश जारी करते हुए पुजारी प्रतिनिधि पद से हटा दिया है।
साथ ही पुजारी दिलीप गुरू को चेतावनी दी है कि भविष्य में उनके किसी प्रतिनिधि द्वारा ऐसा होने पर उनके खिलाफ भी कठोर कार्यवाही की जाएगी। प्रशांत शर्मा को निर्देश दिए गए हैं कि वे आम भक्त की तरह मंदिर में दर्शन करने आएंगे। इसकी पूर्व सूचना प्रशासक कार्यालय को देंगे। महाकाल मंदिर में ऐसा पहली बार हुआ है कि एडीएम सह प्रशासक द्वारा इसप्रकार से मंदिर एक्ट के तहत किसी के खिलाफ कार्यवाही की गई हो। तीन पृष्ठ के आदेश में विभिन्न धाराओं का उल्लेख भी किया गया है।
इधर इस कार्यवाही से मंदिर के पुजारियों-पुरोहितों तथा प्रतिनिधियों के बीच सन्नाटा पसर गया है। हालांकि इसे कथित गुटबाजी से जोड़कर चर्चाओं का दौर भी प्रारंभ हो गया है। यह आदेश 4 जून,25 को जारी हुआ,लेकिन सोश्यल मीडिया में यह बुधवार को अचानक से चर्चा में आया।
आदेश में मंदिर एक्ट-1982 की धारा 18(2) के तहत प्रशासक द्वारा कार्यवाही की जाना बताया गया। यह है पूरा मामला मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि गत 12 अप्रेल,25 को दिलीप गुरू के पुजारी प्रतिनिधि प्रशांत शर्मा उर्फ बबलू गुरू तथा मंदिर प्रबंध समिति के कर्मचारी शुभम गौड़ के बीच विवाद हो गया था। यह विवाद शिकायत के रूप में प्रशासक के पास पहुंचा। उन्होने जांच करवाई। जांच में यह पाया गया कि प्रशांत शर्मा ने इस दिन रात करीब 10 बजे नंदी मण्डपम् में लगे बेरीकेट पर चढ़कर नगाड़ा गेट पर खड़े यजमानों को नंदी मण्डपम् में प्रवेश करवाने की कोशिश की।
इस दौरान नंदी मण्डपम् में ड्यूटी पर तैनात निरीक्षक शुभम गौड़ से उनका विवाद हुआ। सीसीटीवी फुटेज में प्रशांत शर्मा द्वारा झूमाझटकी करते देखा गया। प्रथम कौशिक के अनुसार पुजारी प्रतिनिधि का इसप्रकार का व्यवहार अशोभनीय होकर मंदिर की गरिमा के अनुकूल नहीं था। इसी कारण से प्रशांत शर्मा उर्फ बबलू गुरू को 14 मई,25 को कारण बताओ नोटिस दिया गया। उन्हे दो दिवस में जवाब देने को लिखा गया लेकिन उन्होने 13 दिन बाद 29 मई,25 को अपना जवाब प्रस्तुत किया। इसके बाद 4 जून को उन्हे पद से हटाने के आदेश जारी किए गए ।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वेल