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डलास (टेक्सास), 11 जून (हि.स.)। दक्षिणी बैपटिस्ट कन्वेंशन (एसबीसी) ने मंगलवार को यहां अपनी सालाना बैठक में सुप्रीम कोर्ट के 10 वर्ष पुराने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाले ऐतिहासिक फैसले के विरोध में पारित प्रस्ताव के समर्थन में भारी मतदान किया। प्रस्ताव में मांग की गई है कि ओबर्गेफेल बनाम होजेस मामले को पलटने का समय आ गया है। दक्षिणी बैपटिस्ट संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा प्रोटेस्टेंट संप्रदाय है।
यूएस टुडे अखबार की खबर के अनुसार, डलास में 10 जून को दक्षिणी बैपटिस्ट कन्वेंशन की बैठक में किया गया मतदान ओबर्गेफेल बनाम होजेस मामले को पलटने की दिशा में किए जा रहे अब तक के प्रयासों का बड़ा अभियान है। इससे समलैंगिक विवाह के खिलाफ मजबूत समर्थन जुटाया जा सकता है। पिछले साल भी वार्षिक बैठक में प्रस्ताव पारित कर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के उपयोग की निंदा की गई थी।
इस साल के प्रस्ताव में जिक्र किया गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरा कार्यकाल शुरू करते ही एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। यह आईवीएफ के बढ़ते प्रचलन को हतोत्साहित करता है। प्रस्ताव में जोर देकर विवाह को सिर्फ एक पुरुष और एक महिला के बीच परिभाषित किया गया है। इसकी व्याख्या में कहा गया है कि परिवार प्रजनन के लिए बनाए गए हैं और मानव जीवन गर्भाधान से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक पवित्र है। यह वैवाहिक बंधन ईसाई मान्यताओं के अनुरूप है। यह सार्वभौमिक सत्य है। साथ ही स्वस्थ, न्यायपूर्ण और स्वतंत्र समाज के लिए आवश्यक है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वेच्छा से संतानहीनता को मान्यता प्रदान करता है। यह प्रजनन दर की गिरावट में योगदान देता है। पुरुष और महिला के बीच जैविक अंतर को अनदेखा करता है। माता-पिता के अधिकारों को सीमित करने वाला है। इससे बच्चों के मूल्यों और गरिमा को भी आघात पहुंचता है। यह फैसला समाज को विकृत भी कर रहा है।
प्रस्ताव में वाणिज्यिक सरोगेसी और ट्रांसजेंडर विचारधारा के सामान्यीकरण का भी विरोध किया गया है। इसमें कहा गया है कि पुरुष और महिला की जैविक वास्तविकता को नकारने वाली नीतियां कानूनी कल्पनाएं हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले साल सालाना दक्षिणी बैपटिस्ट कन्वेंशन ने महिला पादरियों पर संवैधानिक प्रतिबंध को संकीर्ण बताते हुए खारिज कर दिया था। साथ ही एसबीसी ने सात चर्चों को को बहिष्कृत करने की घोषणा की थी।इसमें दक्षिणी कैलिफोर्निया का मेगाचर्च सैडलबैक भी शामिल था।
सुप्रीम कोर्ट के दक्षिणपंथी झुकाव और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत से खुश एसबीसी के अधिक रूढ़िवादी गुट और ईसाई राजनीतिक कार्यकर्ता इस परिदृश्य को अमेरिकी न्यायशास्त्र में बदलाव के लिए उपयुक्त मानते हैं। कन्वेंशन में केंद्रित संगठन फेथ विन्स के चैड कोनेली ने कहा कि अब बदलाव का सही समय है। इस वर्ष का संकल्प समलैंगिक विवाह की रक्षा करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पुरजोर विरोध करना है।
यह प्रस्ताव एसबीसी में डेनी बर्क ने प्रस्तुत किया। बर्क इस समय लुइसविले स्थित काउंसिल फॉर बाइबिलिकल मैनहुड एंड वूमनहुड के अध्यक्ष हैं। इसमें शामिल वकील एलजीबीटीक्यू को प्रदत्त किए गए अधिकारों का विरोध करते हैं। वकीलों के इस समूह के दो स्टेटमेंट चर्चा में रहे हैं। पहला स्टेटमेंट 1987 में डेनवर स्टेटमेंट था और दूसरा 2017 में नैशविले स्टेटमेंट था। नैशविले स्टेटमेंट में कहा गया है कि समलैंगिक अनैतिकता या ट्रांसजेंडरवाद को मंजूरी देना पाप है। इस तरह स्वीकृति ईसाई विश्वास पर चोट करती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद