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हुगली, 11 जून (हि.स.)। हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में श्रीरामपुर के महेश में बुधवार को भगवान जगन्नाथ का स्नान यात्रा उत्सव मनाया गया। सुबह भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह से निकालकर मंदिर के बरामदे में रखा गया। मंगला आरती और पूजा-अर्चना की गई। सुबह करीब सात बजे तीनों मूर्तियों को मंदिर से सटे स्नान मंच पर लाया गया। सबसे पहले नारायण शिला को स्नान मंच पर ले जाया गया। फिर बलराम, सुभद्रा और अंत में जगन्नाथ देव की मूर्तियों को ले जाया गया।
महेश जगन्नाथ मंदिर के मुख्य सेवायत सोमेन अधिकारी ने बताया कि इस दिन को भगवान जगन्नाथ देव का प्राकट्य दिवस कहा जाता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को अलग-अलग वेशभूषा में सजाया जाता है। इस वर्ष महा अभिषेक सुबह 10:47 बजे से शुरू हुआ। विभिन्न तीर्थ स्थलों के जल से 108 ब्राह्मणों द्वारा महाप्रभु का अभिषेक किया गया, जिसमें पंचगव्य, पंचामृत, विभिन्न तेल, रत्न, पुष्प, धातु और 12 मिट्टी शामिल हैं। दोपहर 12:10 बजे महायोग का पूर्ण स्नान हुआ। यहां भगवान को 28 घड़ा गंगा जल और डेढ़ मन दूध से स्नान कराया गया। पूजा के बाद उन्हें मंदिर में रख दिया गया गया।
मान्यता है कि स्नान यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं, जिसके कारण वे 15 दिनों तक एकांतवास में रहते हैं। इस अवधि में भगवान को विभिन्न जड़ी-बूटियों से उपचार दिया जाता है। भक्तों को इस दौरान भगवान के दर्शन नहीं हो पाते। यह इसके बाद भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन देवी सुभद्रा और भाई बलभद्र को समर्पित महारथ यात्रा निकाली जाती है। इस वर्ष रथयात्रा की शुरुआत 27 जून 2025 को होगी और समापन 05 जुलाई को किया जाएगा। यह भव्य उत्सव हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय