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- केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह इंदौर में 13 जून को करेंगे उद्घाटन
भोपाल, 11 जून (हि.स.)। पीएम मत्स्य संपदा योजना में मध्य प्रदेश का पहला रिजर्वायर फिशरीज़ प्रोडक्शन एंड प्रोसेसिंग क्लस्टर भोपाल के पास हलाली में बनेगा। इसका उद्घाटन 13 जून को इंदौर से होगा। केन्द्रीय मछुआ पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह राष्ट्रीय इनलैंड फिशरीज़ एवं एक्वाकल्चर बैठक में इसका उद्घाटन करेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में पीएम मत्स्य संपदा योजना में इस तरह के 17 क्लस्टरों की पहचान केन्द्र सरकार ने की है, जो उन क्षेत्रों की मत्स्य पालन की विशेषताओं के आधार पर विकसित किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इनलैंड स्टेट में फिशरीज़ से जुड़ी इस तरह की बैठक देश में पहली बार इंदौर में हो रही है। बैठक का उद्देश्य उन इनलैंड राज्यों में मत्स्य उत्पादन बढ़ाना है, जिनकी सीमाएं समुद्र से नहीं जुड़ती हैं। इस बैठक में सिर्फ उन राज्यों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं जो समुद्र से मत्स्य उत्पादन गतिविधियाँ नहीं करते हैं।
देश के 20 राज्यों के मत्स्य पालन मंत्री होंगे शामिल
उन्होंने बताया कि इंदौर में होने वाली इनलैंड फिशरीज़ एण्ड एक्वाकल्चर मीट में देश के 20 राज्यों के मत्स्य पालन मंत्री भाग ले रहे हैं। राष्ट्रीय बैठक में मध्य प्रदेश के मछुआ पालन मंत्री नारायण सिंह पंवार, उत्तर प्रदेश के मछुआ पालन मंत्री संजय कुमार निषाद, बिहार की मछुआ पालन और पशुपालन मंत्री रेणु देवी, हरियाणा के पशुपालन, डेरी और मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा, राजस्थान के पशुपालन और मछुआ पालन राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेधम के अलावा अन्य राज्यों के मंत्री भी भाग ले रहे हैं। बैठक में विशेष रूप से केन्द्र सरकार के मत्स्य पालन सचिव डॉ. अभिलाक्ष लिखी और संयुक्त सचिव श्री सागर मेहरा भी उपस्थित रहेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार देश में मत्स्य उत्पादन में निर्यात को बढ़ावा देने के लिये इंदौर की इस राष्ट्रीय बैठक में भारत के अलग-अलग राज्यों में हो रहे प्रयोगों पर तकनीकी-सत्र भी आयोजित होंगे। इनमें राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं ICAR-CIFRI, (CAR-CIFA, NFDB की तरफ से मत्स्य उत्पादन की दिशा में विश्व में अपनाई जा रही नई तकनीकों पर प्रेजेन्टेशन दिये जायेंगे। तकनीकी-सत्रों में जलाशय पट्टा नीति, नदी और तालाबों में आधुनिक तरीके से मत्स्य पालन और ठंडे पानी में मछली पालन की संभावनाओं जैसे विषय भी शामिल होंगे।
केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह द्वारा लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र भी वितरित किये जाएंगे, जिनमें मत्स्य सहकारी समितियों, मछुआरा उत्पादक संगठन, मत्स्य पालन स्टार्ट-अप्स एवं परंपरागत मछुआरे भी शामिल हैं। मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड और जलीय कृषि बीमा भी उपलब्ध कराया जायेगा। इसका उद्देश्य मछुआरों को बीमा और डिजिटल एक्सेस देना है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में राज्य में मछुआरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये जल क्षेत्र के कुशल प्रबंधन पर लगातार कार्य किया जा रहा है। इसके चलते इनलैंड फिशरीज़ एण्ड एक्वाकल्चर मीट के अवसर पर इंदौर के ब्रिलियेंट कन्वेंशन सेंटर में एक प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है, जिसमें प्रदेश का खूबसूरत एक्वा पार्क एवं मछली पालन की नई तकनीकी-केज कल्चर और आरएएस को प्रदर्शित करते स्टॉल लगाये जायेंगे।
प्रदेश सरकार के प्रयासों से राज्य में मछुआरों की आय में वृद्धि हो रही है। साथ ही विज़न 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये मध्य प्रदेश में मछुआ पालन से जुड़ी सभी गतिविधियों पर गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। विशेष तौर पर इनपुट सप्लाई के क्षेत्र में, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट, प्रोसेसिंग एवं उत्पादों के निर्यात के लिये भी प्रयास जारी हैं। प्रदेश का सिवनी ज़िला बेस्ट इनलैंड डिस्ट्रिक्ट का पुरस्कार पहले भी प्राप्त कर चुका है। साथ ही बालाघाट ज़िले की प्राथमिक मछुआ सहकारी समिति को मछुआरों के सशक्तिकरण की दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल चुकी है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर