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—अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर में सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का निर्वाह, मिट्टी के 51 घड़ों में रखे गंगाजल से भगवान के काष्ठ विग्रह का जलाभिषेक
वाराणसी,11 जून (हि.स.)। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर बुधवार को अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में परम्परानुसार भक्तों ने भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं भाई बलभद्र का जलाभिषेक कर उनसे घर परिवार और देश में सुख शांति और समृद्धि की कामना की। प्रातः 5.30 बजे मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित राधेश्याम पांडेय ने मुख्य ट्रस्टी शापुरी परिवार की उपस्थिति में भगवान के काष्ठ विग्रह को मिट्टी के 51 घड़ों में रखे गंगाजल से जलाभिषेक किया।
जलाभिषेक के बाद विग्रह का पूजन कर भव्य आरती की। इसक बाद कतारबद्ध श्रद्धालुओं ने पंच पल्लव मिश्रित गंगा जल के मटकों से भगवान के विग्रहों के जलाभिषेक के बाद अपने हाथों से मिष्ठान, फल-फूल अर्पित कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया। भगवान भी भक्तों के श्रद्धारूपी प्रेम में जमकर स्नान करते रहे। यह सिलसिला रात 10 बजे तक चलेगा। इसके बाद भगवान के विग्रहों को पुन: मंदिर के गर्भगृह में लाया जाएगा। जहां अत्यधिक स्नान के कारण भगवान प्रतीक रूप से बीमार पड़ जाएंगे।
काशी में मान्यता है कि श्री काशी विश्वनाथ की नगरी में नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ भक्तों के प्रेम में अत्यधिक स्नान (जलाभिषेक) से बीमार पड़ जाते हैं। भगवान जगन्नाथ प्रतीक रूप से एक पखवाड़ा तक आराम कर काढ़ा का भोग पीकर स्वस्थ्य होंगे। इस एक पखवाड़े में श्रद्धालुओं को भगवान का दर्शन नहीं मिलेगा। ट्रस्ट के सचिव शैलेश त्रिपाठी के अनुसार एक पखवारे तक भगवान को प्रतिदिन काढ़े का भोग लगेगा। प्रभु के प्रकट (स्वस्थ) होने पर मंदिर के गर्भगृह में मंगला आरती, स्तुति, भजन के साथ ही श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ होगा। इसके बाद आठ बजे नैवेद्य स्वरूप परवल का रस दिया जाएगा। एक पखवाड़े के बाद स्वस्थ होने के बाद भगवान श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। इसके बाद मंदिर से भगवान जगन्नाथ की डोली यात्रा निकाली जाएगी। डोली यात्रा गाजे-बाजे के साथ अस्सी से निकलकर दुर्गाकुंड, नवाबगंज, राममंदिर, कश्मीरीगंज, खोजवां, शुंकुलधारा, बैजनत्था, कमच्छा से पंडित बेनीराम बाग, शापुरी भवन के लिए प्रस्थान करेगी। इसी के साथ काशी का विश्व विख्यात तीन दिवसीय रथयात्रा मेला शुरू हो जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी