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इंदौर, 09 मई (हि.स.)। आयुष विभाग द्वारा देवारण्य योजना के अंतर्गत एक जिला एक औषधि अश्वगंधा पहल के तहत अश्वगंधा की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए शुक्रवार को वन समितियों और कृषकों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिला आयुष अधिकारी हंसा बारिया, वन विभाग की फॉरेस्ट रेंजर सुनीता ठाकुर, योजना के नोडल अधिकारी डॉ. शीतल कुमार सोलंकी, डॉ. कमलेश पाटिल, डॉ. राकेश गुप्ता, डॉ. मनीष रघुवंशी, प्रदीप शर्मा, बीट प्रभारी सचिन मंडलोई के साथ इंदौर वन मंडल के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अश्वगंधा की खेती के आर्थिक और औषधीय महत्व को उजागर करना तथा कृषकों और वन समितियों को इसके उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के लिए प्रशिक्षित करना था। हंसा बारिया ने बताया कि अश्वगंधा की खेती न केवल किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगी, बल्कि आयुष क्षेत्र में इंदौर को एक नई पहचान भी दिलाएगी।
रेंजर सुनीता ठाकुर ने वन समितियों को अश्वगंधा की खेती के लिए तकनीकी सहायता और वन भूमि के उपयोग पर जोर दिया। डॉ. सोलंकी ने अश्वगंधा की खेती की आधुनिक तकनीकों और इसके औषधीय गुणों पर प्रकाश डाला। डॉ. गुप्ता, डॉ पाटिल और डॉ. रघुवंशी ने कृषकों को खेती की बारीकियों और बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन बढ़ाने के तरीकों के बारे में जानकारी दी।
प्रदीप शर्मा और बीट प्रभारी मंडलोई ने कार्यशाला में स्थानीय समुदायों और वन समितियों को योजना से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इंदौर वन मंडल के प्रतिनिधियों ने इस पहल को पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय आजीविका के लिए एक सकारात्मक कदम बताया।
यह कार्यशाला कृषकों और वन समितियों के बीच समन्वय स्थापित करने और अश्वगंधा की खेती को एक व्यवसायिक मॉडल के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। आयुष विभाग और वन विभाग के संयुक्त प्रयासों से इंदौर में अश्वगंधा की खेती को बढ़ावा देने की यह पहल क्षेत्र के आर्थिक विकास में नई संभावनाएं लेकर आई है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर