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लखनऊ,09 मई (हि.स.)। प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने प्रदेश में 100 दिवसीय विशेष सघन ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) अभियान की गतिविधियों को आगे भी जारी रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उच्च जोखिम वाले मरीजों की टीबी के साथ अन्य दूसरे पहलुओं की जांच व इलाज करने के भी निर्देश दिए हैं।
प्रमुख सचिव शुक्रवार को एक स्थानीय होटल में जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) के लिए आयोजित दो दिवसीय समीक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को खोजने पर ध्यान दें। उच्च जोखिम वाले मरीजों की पहचान करें। इसके लिए लगातार 100 दिवसीय विशेष सघन अभियान चलाया जाए।
उन्होंने मल्टी ड्रग रेजिस्टेट (एमडीआर) टीबी के प्रत्येक मरीज के लिए बीपाल (बीडाकुलिन, प्रिटोमेनिड, लिनेजोलिड, मोक्सिफ्लाक्सिन) रेजिमेंन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। कहा कि टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट सभी पात्र मरीजों को दिया जाए साथ ही उन्होंने सभी सूचनाएं निःक्षय पोर्टल पर दर्ज कराने के भी निर्देश दिए।
महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. रतनपाल सिंह सुमन ने बोला की टीबी के उच्च जोखिम वाले मरीजों का विशेष ख्याल रखे और सभी को समुचित इलाज उपलब्ध कराए और निरंतर निगरानी रखें।
निदेशक राष्ट्रीय कार्यक्रम डॉ. सीमा श्रीवास्तव ने कहा कि टीबी के इंसीडेंस रेट में वार्षिक गिरावट वर्तमान मे 2.5 प्रतिशत है जिसे बढ़ाकर 10 फीसदी तक किया जाना है। इसके लिए हम सबको प्रयास करने होंगे। उन्होंने बताया कि एक्टिव टीबी न होने की पुष्टि के बाद ही टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट दिया जाना है।
राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने कहा कि इस साल के अंत तक देश को टीबी मुक्त करने के लिए प्रत्येक प्रयास महत्वपूर्ण है। उन्होंने निःक्षय पोर्टल, केस पंजीकरण पर विस्तार से चर्चा की।
यह प्रशिक्षण दो चरणों में 75 जिले के डीटीओ और आगरा, लखनऊ, बरेली, गोरखपुर, और वाराणसी के मेडिकल कालेज के मैक्रोबैलोजिस्ट को दिया जा रहा है प्रशिक्षण का पहला चरण शुक्रवार को पूरा हो गया है और दूसरा चरण 14-15 मई को संपन्न होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन