Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
झांसी की बेटी का वैश्विक मंच पर परचम
झांसी, 9 मई (हि.स.)। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रतिज्ञा पाठक ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए विश्व के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक सम्मेलनों में से एक यूरोपीय भूविज्ञान संघ की महासभा 2025 में प्रतिभाग लेकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। यह महासभा 27 अप्रैल से 2 मई 2025 तक ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में आयोजित हुई, जिसमें 120 देशों से 20,984 प्रतिभागी शामिल हुए। इनमें से 18,646 प्रतिभागी वियना में भौतिक रूप से उपस्थित रहे।
यूरोपीय भूविज्ञान संघ सम्मेलन का प्रमुख विषय अर्थ, प्लानेटरी और स्पेस साइन्स रहा, जिसमें पृथ्वी विज्ञान, ग्रहों से जुड़ी प्रक्रियाएँ और अंतरिक्ष संबंधी अध्ययन शामिल थे। इस थीम के अंतर्गत, डॉ. प्रतिज्ञा ने हाइ टेंपरेचर मेटमोर्फिस्म और “ओरोगेनीक प्रोसैस विषयक सत्र में अपने शोध कार्य को पोस्टर प्रस्तुति के माध्यम से प्रस्तुत किया, जो परिवर्ती शैलविज्ञान मेटमोर्फिक पेट्रोलोजी पर आधारित था। उनकी प्रस्तुति को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय ने अत्यंत सराहा और इस अवसर पर उन्हें विविध देशों के वैज्ञानिकों से संवाद, फीडबैक और भविष्य के शोध सहयोग के प्रस्ताव भी प्राप्त हुए। यह सम्मेलन न केवल वैज्ञानिक ज्ञान-विस्तार का एक अद्वितीय मंच साबित हुआ, बल्कि डॉ. पाठक के लिए यह अनुभव बौद्धिक, और शोधपरक रूप से अत्यंत समृद्ध रहा।
डॉ. प्रतिज्ञा ने बताया कि यूरोपीय भूविज्ञान संघ के सम्मेलन में भाग लेना मेरे शोध जीवन की एक ऐतिहासिक उपलब्धि रही। यह मंच वैज्ञानिक संवाद, नवीनतम तकनीकों और वैश्विक दृष्टिकोण को समझने का अमूल्य अवसर था। यह भागीदारी न केवल एक व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी के लिए गौरव और प्रेरणा का स्रोत है। डॉ. प्रतिज्ञा ने जिस समर्पण और गुणवत्ता के साथ अपने शोध को प्रस्तुत किया, वह विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक उत्कृष्टता और वैश्विक उपस्थिति को दर्शाता है।
डॉ. प्रतिज्ञा पाठक की यह भागीदारी भारत की उभरती हुई महिला वैज्ञानिक शक्ति, बुंदेलखंड क्षेत्र की प्रतिभा और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रतिबिंबित करती है। यह सहभागिता न केवल विश्वविद्यालय के छात्रों और शोधार्थियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगी, बल्कि भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को वैश्विक मंच पर अधिक सशक्त रूप से प्रस्तुत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया