Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
जयपुर, 9 मई (हि.स.)। जवाहर कला केंद्र की ओर से 'मधुरम' कार्यक्रम की श्रृंखला में आयोजित शास्त्रीय संगीत महोत्सव की शुक्रवार को शुरुआत हुई जिसमें सुरों और ताल का मधुर समागम देखने को मिला। कार्यक्रम के पहले दिन सितार वादक पं. हरिहर शरण भट्ट और तबला वादक डॉ. अंकित पारीक ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
तबला कचहरी में डॉ. अंकित पारीक ने अपने शिष्यों के साथ मिलकर तीन ताल में विभिन्न बंदिशों की आकर्षक प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश स्तुति, सरस्वती स्तुति, हनुमान स्तुति और राम स्तुति से हुई। इसके बाद विलंबित तीन ताल में उठान, पेशकार व दिल्ली और अजराड़ा घरानों के कायदे पेश किए। कार्यक्रम में यमन राग पर आधारित मध्यलय की बंदिश, फिर द्रुत तीनताल में लयकारी के माध्यम से यज्ञ की अनुभूति कराने वाले चक्करदार परण, शिव परण और माँ काली पर आधारित परण प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति में गुरबचन सिंह, इशांत सक्सेना, ध्रुव शर्मा, प्रवेश शर्मा, प्रथम तनिष्क श्रीवास्तव, अभिज्ञान पाराशर और शुभांकित पारीक ने तबले पर संगत की। वहीं गायन और हारमोनियम पर पं. रमेश मेवाल ने और सितार पर पवन शर्मा ने साथ दिया।
दूसरी प्रस्तुति में पं. हरिहर शरण भट्ट ने अपने सितार वादन से शास्त्रीय संगीत की मधुर छटा बिखेरी। उन्होंने रूपक ताल में निबद्ध राग मधुवंती के साथ प्रस्तुति की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने मिस खमाज में एक सुरमयी धुन प्रस्तुत की, जिसने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम का समापन राग भैरवी की मधुरता के साथ हुआ। इन प्रस्तुतियों में तबले पर पंडित महेन्द्र शंकर डांगी ने और पखावज पर ऐश्वर्य आर्य ने संगत की।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश