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जम्मू, 24 मई (हि.स.)। एक सार्थक आउटरीच पहल के तहत भारतीय सेना ने राजौरी जिले के केसरी हिल पर गुज्जर और बक्करवाल जनजातियों के सदस्यों के साथ बातचीत की। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और खानाबदोश जीवनशैली के लिए जानी जाने वाली ये जनजातियाँ जम्मू और कश्मीर की आबादी का लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा हैं और अपनी मौसमी परंपरा के तहत हर साल पीर पंजाल पर्वतमाला के ऊंचे इलाकों में प्रवास करती हैं।
शनिवार को कुल 49 गुज्जर और बक्करवाल समुदाय के सदस्यों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिसका उद्देश्य उनके प्रवास के दौरान आने वाली चुनौतियों को समझना और उनका समाधान करना था। चर्चाएँ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित थीं, जिनमें मार्ग में आने वाली कठिनाइयाँ, सुचारू प्रवास के लिए दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकताएँ, 2006 के वन अधिकार अधिनियम के बारे में जागरूकता और उनके बच्चों की शिक्षा के बारे में चिंताएँ शामिल थीं। समुदाय ने प्रवासी मौसम से पहले इस अनूठी भागीदारी को आयोजित करने में भारतीय सेना के सक्रिय प्रयासों की सराहना की।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा