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– कॉरिडोर, तालाब, मंदिरों और घाटों का होगा सौंदर्यीकरण, दर्शन से जुड़ा हर अनुभव होगा खास
मीरजापुर, 14 मई (हि.स.)। जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन की अध्यक्षता में बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई उच्चस्तरीय बैठक में विन्ध्य क्षेत्र के सौंदर्यीकरण और अवस्थापना विकास से जुड़े कई अहम प्रस्तावों पर मोहर लगी। अब न केवल श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित किया जाएगा, बल्कि पूरे धाम का दृश्य और दर्शन अनुभव दोनों ही बदलेगा।
विन्ध्याचल की गलियां अब चौड़ी होंगी, रास्ते दुरुस्त होंगे और घाटों तक पहुंचना आसान होगा। अष्टभुजा, कालीखोह और विन्ध्यवासिनी मंदिर के परिक्रमा मार्ग पर आधुनिक अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जाएंगी। प्रस्तावों में भूमिगत बिजली लाइनों, सेफ हाउस, परकोटा, आर्टवर्क, मल्टी-लेवल पार्किंग, फ्लोटिंग घाट और विशेष दृश्य सौंदर्यीकरण (विजुअल ट्रीटमेंट) की योजना शामिल है। यह सिर्फ एक विकास कार्य नहीं, श्रद्धा के साथ सुविधा का संगम है।
मोतिया तालाब को मिलेगा नया जीवन
धाम की गोद में बसे मोतिया तालाब और उसके पास के दो अन्य जलाशयों का शुद्धिकरण और सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यह न केवल पर्यावरणीय संतुलन में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी नया मुकाम देगा। अब इन तालाबों के किनारे सैलानी बैठकर आत्मिक सुकून पा सकेंगे।
धाम की सफाई अब होगी प्रोफेशनल हाथों में
विन्ध्य कॉरिडोर के रखरखाव और सफाई के लिए हाउसकीपिंग एजेंसी की नियुक्ति प्रस्तावित है। तीर्थयात्रियों को स्वच्छ, सुव्यवस्थित वातावरण मिलेगा और कॉरिडोर का सौंदर्य बरकरार रहेगा। अब श्रद्धालु न केवल दर्शन करेंगे, बल्कि व्यवस्था को भी सराहेंगे।
तीर्थ ही नहीं, आत्मिक पर्यटन का केंद्र बनेगा विन्ध्याचल
अब विन्ध्याचल केवल दर्शन का नहीं, अनुभव का केंद्र बनेगा। सांस्कृतिक मंच, योग केंद्र, वृद्धाश्रम, आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र, गौशाला — ये सभी योजनाएं केवल मंदिर तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की दिशा में अग्रसर करेंगी।
अब इंतज़ार है धरातल पर उतरने का
जिलाधिकारी ने सभी कार्यदायी संस्थाओं को निर्देश दिया है कि टेंडर प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर जमीनी काम शुरू किया जाए। श्रद्धा के इस नगर में बदलाव की बयार चल चुकी है और बहुत जल्द ये हवाएं एक नया इतिहास रचेंगी।
श्रद्धा से जुड़ा हर कोना होगा खास
बैठक में कई नवीन प्रस्तावों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। इनमें शामिल हैं:
राम गया घाट पर श्रीराम चरण पादुका स्थल,
तारा मंदिर के पास योग साधना केंद्र,
वन विभाग की भूमि पर ‘मातृशक्ति वन’,
बरतर तिराहा पर राही गेस्ट हाउस,
राम बरैनी घाट (कछवां) से पुराने बरिया घाट तक पाथवे निर्माण,
दीवान घाट पर सांस्कृतिक मंच और शौचालय,
रेलवे स्टेशन से वीआईपी मार्ग तक 40 फीट चौड़ी सड़क,
मां की पैड़ी का निर्माण,
नारायणपुर के बैकुंठ महादेव, भिलगौर, हल्या, जमालपुर और गड़ौली जैसे ग्रामीण तीर्थ स्थलों का विकास।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा