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धर्मशाला, 14 मई (हि.स.)। कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने बुधवार को चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के सभागार में पशुपालन विभाग द्वारा हिमाचल प्रदेश सह-पशु चिकित्सीय परिषद की एक दिवसीय क्षेत्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि पशुपालकों की आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए पशुपालन विभाग की अहम भूमिका है।
उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य पशुपालन सेवाओं को बेहतर बनाकर पशुपालकों की आजीविका में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग को और बेहतर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि वेटरनरी फार्मासिस्ट सीधे तौर पर किसानों से जुड़े हुए होते हैं जिनको वर्तमान परिदृश्य के अनुसार अपने कौशल को और बेहतर करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वेटरनरी फार्मासिस्ट को रिफ्रेश कोर्स करवाए जाएंगे ताकि पशुपालकों को और बेहतर सुविधा उपलब्ध करवा सकें। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए पशुधन भी एक आवश्यक संसाधन है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशु जनगणना का कार्य पूर्ण कर लिया गया है और रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश में लावारिस पशुओं की संख्या का भी पता लग सकेगा। उन्होंने कहा कि सड़कों से बेसहारा पशुओं को हटाने के लिए सरकार गंभीरता से कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष गौशालाओं को पशुओं के भरण पोषण के लिए लगभग 70 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वेटरनरी फार्मासिस्टों द्वारा रखी गई मांगों पर विचार विमर्श किया जाएगा। संगोष्ठी में कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर और उना जिला से लगभग 300 वेटरनरी फार्मासिस्ट ने भाग लिया। सेमिनार में डॉ. आशीष शर्मा ने पैरावेट काउंसिल एक्ट 2010 और नियम 2011 के बारे में विस्तार से चर्चा की।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया