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-कोर्ट ने कहा, नैसर्गिक न्याय का पालन किया जाना जरूरी
प्रयागराज, 27 अप्रैल (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अस्थाई कर्मचारी के विरूद्ध विभागीय जांच की कोई नियमावली नहीं है। ऐसे में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के तहत बिना सुनवाई का मौका दिए एफआईआर दर्ज होने के आधार पर की गई सेवा समाप्ति अवैध व मनमानापूर्ण है।
कोर्ट ने याची की बर्खास्तगी आदेश 14 फरवरी 25 को रद्द कर दिया और विभाग को विधि सम्मत आदेश पारित करने की छूट दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश कुमार सिंह चौहान की एकलपीठ ने जयंत कुमार सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची का कहना था कि कर्मचारी को बिना सुनवाई का मौका दिये बर्खास्त नहीं किया जा सकता। सरकार की तरफ से कहा गया कि याची अप्रशिक्षित अस्थाई कर्मचारी था। नियुक्ति पत्र में ही लिखा है कि अनियमितता पर सेवा से हटा दिया जाएगा।
याची की नियुक्ति 11 फरवरी 20 को की गई थी। हालांकि अस्थाई कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच की कोई नियमावली नहीं है। कोर्ट ने तमाम फैसलों पर विचार करते हुए कहा कि भले ही विभागीय जांच के नियम न हों, फिर भी किसी कर्मचारी को नैसर्गिक न्याय का पालन किए बगैर बर्खास्त नहीं किया जा सकता। उसे सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे