बंगाल सरकार ने 1803 नाम हटाए, 15403 शिक्षकों की नई सूची भेजी जिलों में
कोलकाता, 23 अप्रैल (हि. स.)।सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई 17 हजार 206 शिक्षकों की सूची से 1803 और नाम हटाकर पश्चिम बंगाल सरकार ने अब 15 हजार 403 शिक्षकों की नई सूची तैयार की है। यह सूची राज्य के सभी जिलों में भेज दी गई है। 2016 की नियुक्ति प्रक्रिय
बंगाल सरकार ने 1803 नाम हटाए, 15403 शिक्षकों की नई सूची भेजी जिलों में


कोलकाता, 23 अप्रैल (हि. स.)।सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई 17 हजार 206 शिक्षकों की सूची से 1803 और नाम हटाकर पश्चिम बंगाल सरकार ने अब 15 हजार 403 शिक्षकों की नई सूची तैयार की है। यह सूची राज्य के सभी जिलों में भेज दी गई है।

2016 की नियुक्ति प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद राज्य में 25 हजार 735 लोगों की नौकरियां चली गई थीं, जिनमें से करीब 18 हजार 418 शिक्षक-शिक्षिकाएं थीं। सरकार ने इनमें से कथित रूप से 'दागी' लोगों को हटाकर 17 हजार 206 नामों की एक नई सूची बनाई थी और 17 अप्रैल को उसे सुप्रीम कोर्ट में सौंपा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन शिक्षकों को 'अयोग्य' नहीं ठहराया गया है, वे 31 दिसंबर 2025 तक स्कूल जा सकेंगे और उन्हें वेतन भी मिलेगा। हालांकि कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि इस साल के भीतर नई नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।

अब खबर यह है कि इस 17 हजार 206 की सूची में भी कुछ शिक्षकों के उत्तरपत्र (ओएमआर शीट) सहित कई अनियमितताएं सामने आई हैं। इसके चलते शिक्षा विभाग ने उनमें से 1803 नाम हटाकर 15 हजार 403 शिक्षकों की नई सूची तैयार की है और वह मंगलवार रात से ही जिलों के डीआई कार्यालयों को भेजी जा चुकी है।

इस बीच ‘योग्य-अयोग्य’ की सूची सार्वजनिक करने की मांग को लेकर एसएससी कार्यालय के बाहर दो दिनों से आंदोलन कर रहे बर्खास्त शिक्षक-शिक्षिकाओं ने आयोग के चेयरमैन को रातभर घेर कर रखा। आंदोलन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़पें भी हुईं। शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने पहले कहा था कि सूची दो हफ्तों के भीतर जारी की जाएगी, लेकिन 21 अप्रैल को समयसीमा खत्म होने के बाद भी सूची जारी न होने से आंदोलन तेज हो गया।

हालात ऐसे बने कि एसएससी चेयरमैन सिद्धार्थ मजूमदार को दो दिन बाद अपने कार्यालय से बाहर निकाला गया, क्योंकि उन्हें कोलकाता हाईकोर्ट में चल रही एक संबंधित सुनवाई में हाजिर होना था।

फिलहाल एसएससी का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगा और केवल उन्हीं लोगों को वेतन और नौकरी मिलेगी, जिन्हें अदालत ने ‘दागी नहीं’ माना है। हालांकि सूची को लेकर चुप्पी और आंदोलन की स्थिति अभी भी जारी है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर