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हिसार, 2 फरवरी (हि.स.)। सिद्धार्थ फाउंडेशन के
तत्वाधान में समर्थगुरू हिसार संघ ने अपने कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में रविवार
के संडे ध्यान में आचार्या मां साक्षी ने कुंडलिनी ध्यान करवाया। उन्होंने बताया कि
कुंडलिनी ध्यान एक प्रकार का योग और ध्यान है जो कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए
किया जाता है।
कुंडलिनी शक्ति एक आध्यात्मिक ऊर्जा है जो हमारे
शरीर में रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में स्थित होती है। इस शक्ति को जागृत करने
का उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना और आत्मिक उन्नति करना है। इस ध्यान के माध्यम
से मानसिक शांति और आत्मज्ञान का अभ्यास किया जाता है। इस अभ्यास में, योगी कुंडलिनी
ऊर्जा को सुषुम्ना नाड़ी के माध्यम से ऊपरी चक्रों में ले जाने के लिए विभिन्न प्राणायाम,
मंत्र और ध्यान की तकनीकों का उपयोग करता है। कुंडलिनी ध्यान के प्रकार और तकनीकें
विभिन्न हो सकती हैं और यह आध्यात्मिक गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक के मार्गदर्शन में
किया जाता है। यह ध्यान प्रणाली शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित
करने के लिए प्रभावी मानी जाती है, लेकिन इसे अनुभव करने के लिए धैर्य, समर्थन और प्रशिक्षण
की आवश्यकता होती है।
ध्यान के बाद ओशोधारा हरियाणा के संयोजक आचार्य
सुभाष ने साधकों को सम्बोधित करते हुए बताया कि ओशोधारा के कार्यक्रम वैज्ञानिक और
आध्यात्मिक दृष्टि से प्रमाणिक है और ध्यान को घर-घर तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर
सप्ताह पूरे देश में ध्यान योग का कार्यक्रम तय किया गया है और 7 से 9 फरवरी को तीन
दिवसीय ध्यान योग के कार्यक्रम का हिसार सहित पूरे देश में एक साथ 50 अधिक जगहों पर
आयोजन किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर