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लखनऊ, 18 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ के शताब्दी वर्ष समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र की आत्मा संस्कृति में होती है, जैसे किसी मनुष्य की आत्मा शरीर से सम्बंध छोड़ देती है तो शरीर निस्तेज हो जाता है। ऐसे ही राष्ट्र से उसकी संस्कृति अलग कर दिया जाय तो राष्ट्र निस्तेज हो जाता है, खंडहर हो जाता है, राष्ट्र अपनी पहचान खो देता है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि इसी वर्ष हमने इस सदी के महाकुंभ का आयोजन किया, जिन लोगों को मान्यता थी कि आज का युवा अपनी संस्कृति से विमुख हो रहा है, उन्होंने देखा होगा कि इस महाकुंभ के आयोजन में 66 करोड़ से अधिक लोग आए। इसमे आने वाली सबसे बड़ी संख्या युवाओं की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस जगत का पहला स्वर ॐ है। जब आप योग में इसको सुनने का प्रयास करेंगे तो यह नाद की तरह गुंजायमान होगा। यही जगत की सच्चाई है। यही विज्ञान कहता है। अध्यात्म भी यही कहता है, यही संस्कृति भी कहती है, यही विश्वविद्यालय भी कह रहा है कि नाद के अधीन यह जगत है। उस नाद को पहचानने के लिए संगीत की अलग अलग विधाओं द्वारा की जाने वाली साधना संगीत का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मुझे प्रसन्नता है कि उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां से सांसद के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी स्वयं देश की संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां पर अभी हमारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित सोनल मान सिंह ने कहा कि यहां जब नृत्य करते हैं तो नटराज के रूप में भगवान शिव हमारे सामने दिखाई देते हैं। जब हम वीणा में अपने स्वर को लय दे रहे होते हैं तो साक्षात सरस्वती माता सरस्वती हमारे सामने होती हैं। हम जब कोई संवाद किसी नाटक में कर रहे होते हैं तो राम की मर्यादा हमारे सामने उस समय देखने को मिलती है और जब हम किसी रस में डूबे होते हैं तो कृष्ण की रस धारा भी हमारे साथ जुड़ती हुई दिखाई देती है। ये कहां मिलेगा सब कुछ तो उत्तर प्रदेश के अंदर मौजूद है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ला