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नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने गुरुवार को बताया कि नीलकंठ (इंडियन रोलर) और अन्य जंगली पक्षियों को बचाने के लिए अलग-से कोई प्रजाति-विशेष योजना नहीं है। पक्षियों को वन्यजीव संरक्षण कानून के अनुसूची-I और अनुसूची-II में सुरक्षा दी गई है। सरकार शिकार रोकने और उनके रहने की जगह बचाने जैसे सामान्य कदम उठा रही है लेकिन किसी एक पक्षी के लिए खास योजना नहीं बनाई गई है।
भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में भाजपा सदस्य के. लक्ष्मण के नीलकंठ पक्षी के संरक्षण से जुड़े प्रश्न पर यह उत्तर दिया। भाजपा सदस्य लक्ष्मण ने कहा था कि नीलकंठ तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा का राज्य पक्षी है लेकिन उसको लेकर अंधविश्वास के कारण खतरा है। इसे संरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इस पर मंत्री यादव ने कहा कि वन्यजीवों और उनके आवास की सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों की होती है। देश स्तर पर बाघ, हिम तेंदुआ और डॉल्फिन जैसे प्रमुख वन्यजीवों की संख्या का आकलन किया जाता है, जबकि अन्य जानवरों और पक्षियों की गणना राज्य अपने स्तर पर करते हैं। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची-I और II में शामिल जानवरों और पक्षियों का शिकार प्रतिबंधित है। इंडियन रोलर (नीलकंठ) पक्षी भी इस कानून की अनुसूची-II में शामिल है, इसलिए इसे कानूनी सुरक्षा मिली हुई है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने वन्यजीवों और पक्षियों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल देशभर में राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, संरक्षण रिज़र्व और सामुदायिक रिज़र्व का नेटवर्क बनाना शामिल है। इसके साथ 24 गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिए विशेष रिकवरी प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट, प्रोजेक्ट लायन, प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड, प्रोजेक्ट डॉल्फिन, प्रोजेक्ट चीता और प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जैसी विशेष योजनाएं लागू हैं। सरकार का उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ-साथ जैव विविधता को बचाना और स्थानीय समुदायों को संरक्षण से जोड़ना है।
उल्लेखनीय है कि कई राज्यों में ऐसी मान्यता है कि दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन से लोगों के पापों का नाश होता है। यह भी माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति नीलकंठ के दर्शन करके कोई मनोकामना करे, तो यह पक्षी उसकी मनोकामना कैलाश पर्वत पर विराजमान नीले कंठ वाले भगवान शिव के पास ले जाता है और वे उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। इसी वजह से बड़ी संख्या में लोग इसे पकड़ते हैं। इसके कारण इनकी मौत भी हो जाती है। इस अंधविश्वास के कारण नीलकंठ पक्षी की संख्या कम होती जा रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी