सेवानिवृत्ति से ठीक पहले फैसले सुनाना छक्का मारने के समान है: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने रिटायरमेंट से ठीक पहले जजों की ओर से बहुत सारे आदेश पारित करने की बढ़ती प्रवृति पर चिंता जताई है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसकी तुलना क्रिकेट मैच के अंतिम ओवरों में बल्लेबाज के
सेवानिवृत्ति से ठीक पहले फैसले सुनाना छक्का मारने के समान है: सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने रिटायरमेंट से ठीक पहले जजों की ओर से बहुत सारे आदेश पारित करने की बढ़ती प्रवृति पर चिंता जताई है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसकी तुलना क्रिकेट मैच के अंतिम ओवरों में बल्लेबाज के छक्के मारने से की।

दरअसल, मध्यप्रदेश के एक जिला जज ने याचिका दायर कर अपने कुछ संदिग्ध न्यायिक आदेशों पर उच्च न्यायालय से खुद को निलंबित किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। जिला जज का निलंबन उनके निर्धारित रिटायरमेंट से ठीक दस दिन पहले हुआ था। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने रिटायरमेंट से ठीक पहले छक्के लगाने शुरु कर दिए थे। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृति है जिस पर विस्तार से चर्चा की जरुरत नहीं है।

याचिका में कहा गया था कि जिला जज 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे। उनके द्वारा कथित तौर पर पारित दो न्यायिक आदेशों के कारण 19 नवंबर को निलंबित कर दिया गया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता जिला जज की ओर से पेश वकील विपिन सांघी ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को केवल न्यायिक आदेश पारित करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे न्यायिक आदेशों के लिए कैसे निलंबित किया जा सकता है, जिनके खिलाफ अपील की जा सकती है और उच्च न्यायालय की ओर से उन्हें सुधारा जा सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रभात मिश्रा