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कोलकाता, 13 दिसंबर (हि.स.)। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) विधानसभा चुनाव से पूर्व पश्चिम बंगाल में अपनी सक्रियता बढ़ाने और जनाधार कायम करने की जद्दोजहद में जुट गया है। शाम ढलते ही बंगाल के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में पार्टी के कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं और घर-घर जाकर ुलोगों के सुख-दुख की खबर ले रहे हैं।
हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने पूर्णिया और किशनगंज जिले की पांच सीटें जीती हैं। पूर्णिया और किशनगंज बंगाल से सटे हुए क्षेत्र हैं। पार्टी बिहार की सफलता को बंगाल में भी बनना चाहती है और यहां जमीनी स्तर से संगठन बनाने में जुट गई है। बूथ आधारित संगठन तैयार हो रहे हैं।
वर्ष 2021 के चुनाव से कुछ महीने पहले असदुद्दीन ओवैसी फुरफुरा शरीफ में अल्पसंख्यक नेता अब्बास सिद्दीकी से मिले थे। उस समय 'हैदराबाद की पार्टी मुस्लिम वोट काटेगी' कहकर खुद तृणमूल सुप्रीमो ने शंका जताई थी। लेकिन उस बार बंगाल के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को कोई खास फायदा नहीं हुआ था।
2021 में एआईएमआईएम की कोई खास भूमिका नहीं थी। लेकिन इस बार बिल्कुल नई रणनीति के साथ एआईएमआईएम बंगाल में अपने पैर पसार रही है। अंधेरा होते ही एआईएमआईएम के लोग मोहल्ले-मोहल्ले में हाजिर हो रहे हैं। चाय की दुकान पर बेंच लगाकर बैठकर अल्पसंख्यक परिवारों को समझाया जा रहा है कि कैसे टीएमसी तेजपत्ते की तरह उनका इस्तेमाल कर रही है। एआईएमआईएम के सदस्य तृणमूल के खिलाफ लोगों में गुस्सा फैला रहे हैं। खासकर वक्फ कानून लागू करने को लेकर मुस्लिम समाज में टीएमसी के प्रति नाराजगी है। पहले विरोध करने के बाद आखिर में ममता बनर्जी ने वक्फ कानून लागू करके नोटिस क्यों दिया, यह सवाल उठा रही है एआईएमआईएम।
हाल ही में मुर्शिदाबाद के रघुनाथगंज के सेकेंद्रा इलाके में तृणमूल छोड़कर कई कार्यकर्ताओं को एआईएमआईएम में शामिल होते देखा गया। दक्षिण दिनाजपुर के कुमारगंज विधानसभा क्षेत्र में भी यही तस्वीर दिखी। सीपीएम और तृणमूल छोड़कर कई लोग एआईएमआईएम में शामिल हुए।
मालदह में भी ऐसी ही तस्वीरें दिख रही हैं। सिर्फ चांचल में 300 से ज्यादा तृणमूल कार्यकर्ता एआईएमआईएम में शामिल हुए हैं। रतुआ, हरिश्चंद्रपुर, मालतीपुर मिलाकर हजार से ज्यादा लोग एआईएमआईएम में शामिल हो चुके हैं।
हाल ही में एक जनसभा में ममता ने कहा, एक नया मुसलमानों का दल आया है। और इसी मुस्लिम यानी अल्पसंख्यक वोट को लेकर सत्ताधारी पार्टी चिंतित है।
2011 की जनगणना के अनुसार, पश्चिम बंगाल में मुस्लिम जनसंख्या 28 प्रतिशत थी जो वर्तमान में लगभग 30 प्रतिशत के आसपास है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन अल्पसंख्यक मतदाताओं के अधिकांश वोट तृणमूल की झोली में जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले पंचायत चुनाव में लालगोला के सीतेशनगर में एआईएमआईएम के एक उम्मीदवार जीते थे। वह अभी भी एआईएमआईएम में ही हैं।
इधर, मुर्शिदाबाद में हुमायूं कबीर नई पार्टी घोषित करने वाले हैं। उनका टारगेट भी राज्य की अल्पसंख्यक बहुल सीटें होंगी। हुमायूं ने साफ कहा है, नई पार्टी घोषित करूंगा। 135 सीटों पर उम्मीदवार दूंगा। ओवैसी के साथ गठबंधन करूंगा।
दो जिलों को सामने रखकर एआईएमआईएम मोहरे सजा रही है, लेकिन नेताओं की बातें सुनकर लगता है कि बंगाल को लेकर सारा होमवर्क उन्होंने कर लिया है। एआईएमआईएम की राज्य कमेटी के सदस्य टॉनिक खान के अनुसार, हम सभी सीटों पर उम्मीदवार देंगे। बाघ के खिलाफ बाघ बनकर लड़ाई करेंगे।
मालदह में तृणमूल के जिला अध्यक्ष अब्दुल रहीम बक्शी ने किसी दल का नाम लिए बिना कहा, भाजपा के साथ हाथ मिलाकर रात के अंधेरे में गुप्त ठिकानों में मीटिंग करके जो तय कर रहे हो कि मालदह की छाती से तृणमूल को मिटा देंगे, जिस खोपड़ी के अंदर इस तरह के विचार आ रहे हैं, उस खोपड़ी को तोड़कर चूर-चूर कर देंगे। इधर भाजपा के राज्य अध्यक्ष शमीक भट्टाचार्य का कहना है कि बंगाल में कोई विभाजन की राजनीति नहीं चलेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय