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गोपालगंज, 29 अक्टूबर (हि.स)।आगामी विधानसभा आम चुनाव को लेकर जारी मतदाता सूची के प्रारूप ने जिले में लोकतंत्र की सहभागिता को लेकर एक नया तस्वीर सामने आई है। जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 9 हजार 171 कम है। जिसमें सबसे अधिक कुचायकोट विधानसभा में 22 हजार 221 और हथुआ विधानसभा में 5 हजार 795 मतदाता सूची से नाम हटाया गया है। यह अंतर केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि समाज और राजनीति दोनों को चौकाने वाला विषय बन गया है।
चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि अब तक के कई चुनावों में महिला मतदाताओं ने निर्णायक भूमिका निभाई है। महिला वोट बैंक ने न सिर्फ कई सीटों के परिणाम बदले, बल्कि राजनीतिक दलों को महिला केंद्रित नीतियों, योजनाओं और घोषणाओं पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया। ऐसे में जिले में महिलाओं की संख्या में गिरावट आगामी चुनावों में दलों की रणनीति और परिणामों पर प्रभाव डाल सकती है। जारी प्रारूप के अनुसार जिले में कुल 18 लाख 6 हजार 465 मतदाताओं के नाम दर्ज किए गए हैं। इनमें 9 लाख 57 हजार 787 पुरुष, 8 लाख 48 हजार 616 महिलाएं और 62 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। यानी, जिले में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से 1 लाख 9 हजार 171 कम है। जिले में प्रति 1000 पुरुष मतदाताओं पर केवल 890 महिला मतदाता हैं, जबकि राज्य का औसत 908 का है।विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद 30 सितंबर 2025 को जारी अंतिम सूची के अनुसार जिले में मतदाताओं की संख्या में 2 लाख 49 हजार से अधिक की कमी आई है। वर्ष की शुरुआत में 1 जनवरी को प्रकाशित सूची में कुल मतदाता संख्या 20 लाख 49 हजार 380 थी, जो अब घटकर 18 लाख 6 हजार 465 करोड़ रह गई है। जहां महिलाओं के नामों में लगभग 15% की भारी कटौती हुई, जबकि पुरुषों में 7.8% कमी हुई।
कुचायकोट विधान में सबसे अधिक 22 हजार 221 तो सबसे कम हथुआ विधानसभा में 5 हजार 795 महिला मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से कट गया है। 1 जनवरी, 1 अगस्त, और 30 सितंबर की मतदाता सूचियों की तुलना से एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि इस पुनरीक्षण अभियान में पुरुषों की तुलना में अधिक महिला मतदाताओं के नाम हटे हो सकते हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, लिंगानुपात (प्रति हज़ार पुरुष मतदाताओं पर महिला मतदाताओं की संख्या) 1 जनवरी, 2025 की सूची में 914 था, जो घटकर 1 अगस्त को 893 और 30 सितंबर को 892 हो गया है। हालांकि, 1 जनवरी से 30 सितंबर के बीच पुरुष और महिला दोनों मतदाताओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन आनुपातिक रूप से यह गिरावट महिला मतदाताओं में अधिक है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर महिला मतदाता लोकतांत्रिक प्रक्रिया से दूरी बनाती रहीं, तो इससे न केवल चुनावी संतुलन बिगड़ेगा, बल्कि आधी आबादी की आवाज भी कमजोर पड़ेगी। लोकतंत्र को सशक्त जड़ें तभी मजबूत होंगी जब महिलाएं समान भागीदारी के साथ मतदान प्रक्रिया में सक्रिय रूप से जुड़ें। जिला पदाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि आगामी एक माह के विशेष अभियान में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए प्राथमिकता से प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि स्कूलों, कॉलेजों और पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर नई महिला मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाएगा।
महिलाओं के नाम हटाने का अनुपात पुरुषों से अधिक एक नजर में---------
क्रम संख्या- विधानसभा का नाम- पुरुष------ महिला---महिला की संख्या कम
-99- बैकुंठपुर------161850------------- 144232-------- 17,618
-100- बरौली-------149361—-----------132933-------- 16,434
-101-गोपालगंज-----156691-----------138564----------18,127
-102- कुचायकोट---159850—----------137629-------22,221
-103- भोरे---------176665-------------159165-------17,500
-104-हथुआ-------153370------------159165-------5795
योग--------------957787------------848616------109,171
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हिन्दुस्थान समाचार / Akhilanand Mishra