राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रवेश के बाद पहली सीढ़ी है प्रारंभिक वर्ग
प्रारंभिक वर्ग काे संबाेधित करते हुए आरएसएस पदाधिकारी


ब्रह्ममुहूर्त में संघ के स्वयं सेवक


250 से ज्यादा विद्यार्थी रहेंगे कड़े अनुशासन के बीच

मथुरा, 28 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, महानगर के प्रारंभिक वर्गों का उद्घाटन 5 स्थानों पर विधिवत हो गया। प्रति वर्ष सभी दसों नगरों को मिलाकर दो ही वर्ग लगते थे, संघ कार्य का विस्तार हो जाने वजह से इस बार पूरे महानगर में 5 वर्गों का आयोजन हो रहा है।

पहला वर्ग गायत्री, केशव और द्वारिकेश नगर का मिलाकर कृष्ण चंद्र गांधी में, दीनदयाल नगर का अकेला वर्ग चंदनसिंह यादव स्कूल, सदर में, यमुना और गोकुल नगर का वर्ग मदन मोहन कलावती में, रिफाइनरी एवं महाराणा प्रताप नगर का बी बी आर इंटरनेशनल स्कूल, बाद में तथा माधव एवं श्रीजी नगर का वर्ग विनोद कुमार कोयला स्कूल में लग रहा है।

3 दिन चलने वाले इस वर्ग में मंगलवार प्रातः 5 बजे उठने के बाद से कड़ी दिनचर्या का पालन करते हुए विद्यार्थियों को तीन बौद्धिक सत्र व दो बार संघ स्थान(शाखा) में भाग लेना होता है। वर्ग में मोबाइल का इस्तेमाल प्रतिबंधित रहता है।

वर्गों का शुभारंभ दोपहर 3 बजे से विद्यार्थियों के आगमन से होता है, उसके ठीक बाद सायं की शाखा लगती है, उसमें सभी विद्यार्थियों के गणवेश का निरीक्षण होता है और शिविर में आगे चलने वाले संघ स्थानों में प्रयोग के आने वाली आज्ञाओं को समझाया जाता है।

वर्ग के उद्घाटन सत्र में वर्ग अधिकारियों द्वारा भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर संघ के वर्ग और उनके उद्देश्य की चर्चा विद्यार्थियों से की जाती है। अधिकारियों ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि संघ अपनी स्थापना के समय से ही ऐसे वर्गों को लगाता आया है, जिसमें विद्यार्थियों को जिम्मेदार, चरित्रवान एवं देशभक्त नागरिक बनाने का ध्येय होता है।

वर्गों के बारे में बताया कि यह प्रारंभिक वर्ग संघ के प्रवेश की पहली सीढ़ी होता है जो 3 दिन का रहता है, उसके बाद प्राथमिक वर्ग 7 दिन, तत्पश्चात संघ शिक्षा वर्ग 15 दिन का, कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम 20 दिन का, कार्यकर्ता विकास वर्ग दो 25 दिन का रहता है। उन्होंने बताया कि वर्गों में प्रतिदिन होने वाले 3 बौद्धिक सत्रों में बौद्धिक के विषय पहले से ही चयनित होते हैं, जिसमें स्वयंसेवक के निर्माण के साथ हम एक सम्यक विकसित समाज का भी निर्माण कैसे करें ,ऐसे व्याख्यान होते हैं। शिविर में भोजन की व्यवस्था के लिए रोटियां नगरों से एकत्रित होकर जाएंगी। बाकी सब्जी एवं दाल वहीं बनेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / महेश कुमार