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खार्तूम, 27 अक्टूबर (हि.स.)। सूडान में गृहयुद्ध के हालात और गंभीर हो गए हैं। अर्धसैनिक संगठन रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) ने दारफुर क्षेत्र के अल-फशीर शहर में सेना के अंतिम ठिकाने को भी लगभग अपने कब्जे में ले लिया है। यह वही शहर है जो पिछले 18 महीनों से घेराबंदी में था। अगर RSF इस शहर पर पूरी तरह नियंत्रण कर लेती है, तो इससे देश दो हिस्सों में बंटने की स्थिति बन सकती है।
संभावित विभाजन और हिंसा की आशंका
आरएसएफ की इस बढ़त से लगभग 2.5 लाख नागरिकों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है, जो अब भी अल-फशीर में फंसे हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के अनुसार, अब तक 26,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं। अमेरिकी वरिष्ठ अधिकारी मस्साद बुलोस ने अल जज़ीरा से कहा कि यदि दारफुर क्षेत्र पूरी तरह आरएसएफ के नियंत्रण में आ जाता है, तो “यह लीबिया जैसी विभाजित स्थिति” पैदा कर सकता है, जहां देश पूर्व और पश्चिम के सैन्य गुटों में बंट चुका है।
आरएसएफ की बढ़त और बाहरी हस्तक्षेप
आरएसएफ, जिसका नेतृत्व जनरल मोहम्मद हमदान दागालो (हेमदती) कर रहे हैं, अब पश्चिमी सूडान में अपनी सत्ता मजबूत कर रही है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि विदेशी हथियारों की आपूर्ति और बाहरी हस्तक्षेप शांति की संभावनाओं को कमजोर कर रहे हैं। सूडानी सेना ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पर आरएसएफ को हथियार देने का आरोप लगाया है, हालांकि यूएई ने इसे खारिज किया है।
राजधानी खार्तूम की ओर बढ़ते कदम
आरएसएफ ने हाल ही में नॉर्थ कोर्डोफान के बारा शहर में भी बढ़त बनाई है, जिससे वह राजधानी खार्तूम से कुछ घंटे की दूरी पर पहुंच गई है। आरएसएफ के उपप्रमुख अब्देलरहीम दागालो ने एक वीडियो संदेश में कहा, “अल-फशीर की आजादी, पूरे सूडान की आजादी है... हम आ रहे हैं, और जोरदार तरीके से आ रहे हैं।”
नागरिकों की स्थिति गंभीर
प्रत्यक्षदर्शियों और राहतकर्मियों के अनुसार, आरएसएफ बलों ने भाग रहे नागरिकों को पास के कस्बों में रोककर विस्थापन शिविरों में भेजना शुरू किया है। कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि जगावा जनजाति के लोगों पर बदले की कार्रवाई की आशंका है, जैसा कि पहले जमजम कैंप में हुआ था। सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें आरएसएफ सैनिकों को निहत्थे लोगों पर अत्याचार करते गोली चलाते दिखाया गया है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर स्थिति पर तुरंत नियंत्रण नहीं पाया गया, तो सूडान एक स्थायी विभाजन की ओर बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर भी गंभीर असर पड़ेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय