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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (हि.स.)। भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत उम्मीदों के मुताबिक नहीं रही। पर्थ में सात विकेट की हार और फिर एडिलेड में एक और निराशाजनक बल्लेबाजी प्रदर्शन ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारतीय टीम अपने वनडे संयोजन में सही तालमेल खोज पाने में नाकाम रही है।
लगातार ढहता शीर्ष क्रम- सिर्फ नाम काफी नहीं
पर्थ में बारिश-प्रभावित मुकाबले में भारत 26 ओवर में ही 136 पर सिमट गया। शुभमन गिल और विराट कोहली- दो ऐसे नाम जिनसे स्थिरता की उम्मीद थी- दोनों जल्दी आउट होकर लौटे। कोहली स्टार्क के सामने बिना खाता खोले आउट हुए, जबकि गिल नाथन एलिस की गेंद पर मात्र 10 रन बना सके।
एडिलेड में भी वही कहानी दोहराई गई- गिल केवल 9 रन और कोहली फिर से शून्य पर। यह सिलसिला यह दिखाता है कि भारत का शीर्ष क्रम एक बार फिर विदेशी परिस्थितियों में शुरुआती झटकों को झेलने में असफल रहा है।
चयन पर सवाल: संतुलन या भ्रम?
भारतीय टीम के पास प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन सवाल रणनीति का है- क्या टीम अनुभव और फॉर्म के बीच सही संतुलन बना पा रही है? चयनकर्ताओं ने इस दौरे के लिए शुभमन गिल(कप्तान), विराट कोहली, रोहित शर्मा, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल जैसे बल्लेबाज़ों पर भरोसा जताया है, लेकिन शीर्ष क्रम की अस्थिरता के बावजूद मध्यक्रम में बदलाव की संभावना बहुत सीमित नजर आती है।
यहीं से चर्चा उठती है उन खिलाड़ियों की, जिन्हें इस दौरे पर मौका नहीं मिला- जिनमें से एक नाम संजू सैमसन का भी है।
सैमसन की अनुपस्थिति- एक संकेत या संयोग?
संजू सैमसन का वनडे रिकॉर्ड बताता है कि जब उन्हें मौके मिले, उन्होंने टीम को स्थिरता दी। दक्षिण अफ्रीका में उनका 108 रन का शतक विदेशी परिस्थितियों में संयम और समझदारी का उत्कृष्ट उदाहरण था। उनका औसत 56 से अधिक है- जो बताता है कि वे सिर्फ फ्लेयर नहीं बल्कि स्थायित्व भी लाते हैं।
हालांकि यह तर्क भी सही है कि भारत एक रोटेशन नीति पर चल रहा है और चयनकर्ता नए खिलाड़ियों को मौके देना चाहते हैं। फिर भी, जब शीर्ष क्रम लगातार नाकाम हो रहा हो, तो एक भरोसेमंद और अनुकूलनशील बल्लेबाज का बाहर रहना रणनीति की सटीकता पर सवाल उठाता है।
टी20 में जगह, वनडे में नहीं- क्या सोच है पीछे?
दिलचस्प रूप से, सैमसन को इसी दौरे के टी20 स्क्वाड में जगह दी गई है। इसका मतलब यह नहीं कि चयनकर्ता उन्हें अनदेखा कर रहे हैं- बल्कि यह संकेत हो सकता है कि टीम प्रबंधन उन्हें एक विशिष्ट भूमिका में देखना चाहता है।
फिर भी, उनके सीमित ओवरों में प्रदर्शन को देखते हुए, यह स्वाभाविक है कि क्रिकेट प्रेमी और विशेषज्ञ सवाल करें कि क्या भारत अपनी वनडे योजनाओं में सही संयोजन के करीब है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे