(अपडेट) वाराणसी में नीति आयोग की क्षेत्रीय संगोष्ठी, सफलता की कहानियों की प्रदर्शनी में दिखी विकास की नई तस्वीरें
वाराणसी में नीति आयोग की क्षेत्रीय संगोष्ठी


वाराणसी, 24 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शुक्रवार को नीति आयोग की क्षेत्रीय सर्वोत्तम अभ्यास संगोष्ठी (बेस्ट प्रैक्टिसेज) का आयोजन किया गया। एक दिवसीय इस संगोष्ठी में विकास की सफलता की कहानियों की प्रदर्शनी के साथ प्रस्तुतियां और पैनल चर्चाएं आयोजित हुईं।

कार्यक्रम का उद्घाटन नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक (एडीपी/एबीपी) रोहित कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि देश के उत्तर क्षेत्र के कई जिलों ने विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास” दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आंकड़ों, संसाधनों और कार्यबल को एक मंच पर लाकर अभिसरण के माध्यम से स्थायी विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पीछे न छूटे। विकास की दिशा अब संतृप्ति से स्थिरता की ओर अग्रसर है।

वाराणसी परिक्षेत्र के कमिश्नर एस. राजलिंगम ने आयोजन की मेजबानी के लिए नीति आयोग का आभार जताया। उन्होंने बताया कि नए ढांचे ने निगरानी की प्रक्रिया को आंकड़ा-संचालित और सहयोगात्मक बनाया है। स्पष्ट केपीआई और प्रोत्साहन-आधारित दृष्टिकोण से जिलों को न केवल कमियों की पहचान करने में मदद मिली है बल्कि प्रक्रियाओं को मानकीकृत कर मापनीय प्रगति की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

वाराणसी जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने कहा कि वाराणसी, जो आध्यात्मिक और बौद्धिक परंपराओं का संगम है, इस तरह के विचार-विनिमय के आयोजन के लिए आदर्श स्थान है। उन्होंने बताया कि संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा व कौशल संवर्धन, कृषि एवं जल संसाधन, बुनियादी ढांचा, वित्तीय समावेशन और सामाजिक विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में हुए उत्कृष्ट कार्यों को साझा करना और उनसे सीख लेकर आगे बढ़ना है। संगोष्ठी का संदर्भ अपर मिशन निदेशक आनंद शेखर ने रखा। उत्तराखंड के विशेष सचिव एवं रेजिडेंट कमिश्नर अजय मिश्रा ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए चयनित ब्लॉकों को बधाई दी। इस अवसर पर देशभर से चुनी गई सर्वोत्तम प्रथाओं (बेस्ट प्रैक्टिसेज) के एक संग्रह का भी अनावरण किया गया, ताकि उन्हें अन्य जिलों में अपनाया जा सके।

संगोष्ठी में चार विषयगत सत्र आयोजित किए गए, जिनमें शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिलों और ब्लॉकों ने अपने पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से वास्तविक कार्यान्वयन की झलक प्रस्तुत की। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधियों ने अपनी पहलें साझा कीं। प्रत्येक सत्र के बाद नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में इंटरैक्टिव पैनल चर्चाएं हुईं, जिनमें संसाधन की कमी और परियोजनाओं की मापनीयता जैसी चुनौतियों पर चर्चा की गई।

एक दिवसीय इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के ज़िला कलेक्टर, राज्य अधिकारी, खंड विकास अधिकारी और विषय विशेषज्ञ शामिल हुए। सभी ने शासन और सेवा वितरण को जमीनी स्तर पर सशक्त बनाने के लिए सहयोग, नवाचार और ज्ञान-साझाकरण के महत्व पर जोर दिया।

गौरतलब है कि जनवरी 2018 में शुरू किया गया आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) देश के 112 जिलों में लागू है, जबकि आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम (एबीपी) इसका विस्तारित स्वरूप है, जो 513 ब्लॉकों को कवर करता है। ये दोनों पहलें स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे में मापनीय सुधारों पर केंद्रित हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी