आई लव मोहम्मद का नारा लगाने के बजाय आचरण और चरित्र से नबी से प्रेम व्यक्त करेंः मौलाना अरशद मदनी
जमीअत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी


कानपुर /नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (हि.स.)। जमीअत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि मुसलमान बाज़ार में ‘आई लव मोहम्मद' का प्रदर्शन करने के बजाय अपने आचरण और चरित्र से नबी-ए -करीम से प्रेम व्यक्त करें। वह गुरुवार की रात उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर के परेड ग्राउंड में आयोजित “तहफ़्फ़ुज़ ख़त्म-ए-नबूव्वत कॉन्फ़्रेंस” को संबोधित कर रहे थे। यह कॉन्फ़्रेंस जमीअत उलमा-ए-कानपुर के तत्वावधान में, दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल क़ासिम नोमानी की अध्यक्षता और क़ाज़ी-ए-शहर हाफ़िज़ अब्दुल क़ुद्दूस हादी की निगरानी में आयोजित हुई।

मौलाना मदनी ने कहा कि देश की स्थिति और तरह-तरह के भटकाव वाले फितनों सहित तमाम समस्याओं का हल हमारे नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा साहब की सीरत-ए-मुबारका (पैगंबर के बताए रास्ते) में मौजूद है।

उन्होंने कहा कि नफरत के बीज अब विशाल वृक्षों का रूप ले चुके हैं। चारों ओर संकीर्णता, पक्षपात और धार्मिक दुश्मनी के बादल मंडरा रहे हैं। शरारती ताकतें इस्लाम की पवित्र शिक्षाओं को गलत रंग में पेश कर रही हैं, लेकिन हमें मुसलमानों को ऐसी स्थिति में भी अपने नबी-ए-करीम की शिक्षाओं के अनुसार धैर्य, सहनशीलता और मोहब्बत से काम लेना है। हमारा जवाब नफरत का नहीं बल्कि मोहब्बत का होना चाहिए, क्योंकि यही नबी करीम का तरीका था और यही अल्लाह तआला का हुक्म है।

मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि अब हर मामले को धार्मिक रंग देकर एक विशेष समुदाय को न केवल निशाना बनाया जा रहा है बल्कि न्याय और कानून को ताक पर रखकर एकतरफा कार्रवाई द्वारा यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि अब देश में अल्पसंख्यकों, विशेष कर मुसलमानों के संवैधानिक और कानूनी अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि दुख की बात यह है कि जात-पात, धर्म और संप्रदाय के नाम पर इंसान को इंसान से नफरत सिखाई जा रही है, जबकि सच्चाई यह है कि हम सब एक ही आदम मनु की औलाद हैं, एक ही सृष्टिकर्ता की रचनाएं हैं। इस्लाम ने हर धर्म, हर वर्ग और हर इंसान के साथ न्याय, इंसाफ़ और भलाई का आदेश दिया है।

हिन्दुस्थान समाचार/मोहम्मद ओवैस

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हिन्दुस्थान समाचार / मोहम्मद शहजाद