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जयपुर, 15 अक्टूबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर में राज्य सरकार की दो योजनाओं राजस्थान मंडपम व एकता मॉल का निर्माण रोकने और इस जमीन को वन भूमि घोषित करने के लिए दायर पीआईएल को खारिज कर दिया। सीजेआई बी.आर.गवई व जस्टिस के. विनोद चन्द्रन ने यह आदेश टी.एन. गोदावर्मन मामले में दायर एक पीआईएल पर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित भूमि वन भूमि नहीं है और आवेदन में कोई औचित्य नहीं पाया गया है।
याचिका इस आधार पर दायर की गई थी कि जयपुर की सांगानेर तहसील स्थित डोल का बाड़ क्षेत्र में इन परियोजना की जमीन वन भूमि है, और ऐसे में इसे वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत संरक्षण दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही यहां पर इन परियोजनाओं के निर्माण पर पाबंदी लगाई जाए। जवाब में राज्य सरकार व रीको की ओर से एएजी शिवमंगल शर्मा ने कहा कि संबंधित भूमि 1979 में औद्योगिक प्रयोजन के लिए अधिग्रहित की गई थी। इसकी वैधता को सुप्रीम कोर्ट तक तय किया जा चुका है। यह भूमि 1991, 2011 और 2025 के मास्टर प्लान में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अंकित है। इन परियोजनाओं को रोकने के लिए एक समूह के लोग बार-बार याचिकाएं दायर कर रहे हैं। ऐसी याचिकाएं पूर्व में भी एनजीटी व राजस्थान हाईकोर्ट में भी दायर हो चुकी हैं। इन याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर तथ्य छिपाने पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। राज्य सरकार ने परियोजना वाली जगह पर कोई पेड़ नहीं काटे हैं और केवल 56 पेड़ों को ही मंजूरी लेकर प्रत्यारोपित किया है। वहीं उनकी संख्या से दस गुना अधिक पौधे वृक्षारोपण के तौर पर लगाए हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक