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उच्च न्यायालय ने सरकार व सीबीआई को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के दिए निर्देश
नैनीताल, 15 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आईएफएस के 2004 बैच के अधिकारी राहुल के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति के राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। बुधवार काे न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ ने कहा कि इस आदेश से गंभीर संवैधानिक और विधिक प्रश्न उठते हैं, जिनकी गहन विवेचना अंतिम सुनवाई में की जाएगी।
मामला सीबीआई की एफआईआर से जुड़ा है, जिसके संबंध में राज्य सरकार ने 16 सितंबर 2025 को अभियोजन की स्वीकृति दी थी। इससे पहले, 4 अगस्त 2025 को सरकार ने अभियोजन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था, परंतु बाद में उसी सामग्री के आधार पर निर्णय पलट दिया गया, जिसे याचिकाकर्ता ने चुनौती दी। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एक बार सरकार अभियोजन की अनुमति से इंकार कर चुकी है, तो वही अधिकारी दोबारा उसी आधार पर निर्णय नहीं ले सकता। यह कानून के सिद्धांतों और अधिकार क्षेत्र के उल्लंघन के समान है। सीबीआई की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने पर्याप्त सामग्री और विधिक राय के आधार पर अनुमति दी है, इसलिए उस पर रोक लगाना उचित नहीं होगा। उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद माना कि मामले में अभियोजन स्वीकृति के आदेश के कारण यदि सेवा में कार्यरत अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होती है, तो इससे उसकी सेवा और प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 16 सितंबर 2025 की अभियोजन स्वीकृति अगली सुनवाई तक स्थगित रहेगी। इस बीच याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि उसने अभी मामले के गुण-दोष पर कोई राय नहीं दी है। राज्य सरकार और सीबीआई को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है, जबकि याचिकाकर्ता को दो सप्ताह में प्रत्युत्तर दाखिल करने की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 दिसंबर 2025 की तिथि नियत की है।
हिन्दुस्थान समाचार / लता