नेपाल के हाइड्रो पावर निर्माण के लिए जीएमआर ने किया दो सरकारी कंपनियों से समझौता
काठमांडू, 11 सितंबर (हि.स.)। नेपाल के 900 मेगावाट क्षमता वाली अपर कर्णाली जलविद्युत परियोजना के लिए वित्तीय संसाधन नहीं जुटा पाने के बाद भारत की निजी कंपनी जीएमआर ने भारत में ही दो अन्य कंपनियों के साथ एक समझौता किया है। इस हाइड्रो पावर परियोजना विका
GMR, SJVN agreement


काठमांडू, 11 सितंबर (हि.स.)। नेपाल के 900 मेगावाट क्षमता वाली अपर कर्णाली जलविद्युत परियोजना के लिए वित्तीय संसाधन नहीं जुटा पाने के बाद भारत की निजी कंपनी जीएमआर ने भारत में ही दो अन्य कंपनियों के साथ एक समझौता किया है। इस हाइड्रो पावर परियोजना विकास के लिए निजी कंपनी जीएमआर ने भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (आईआरईडीए) और सतलज जलविद्युत निगम (एसजेवीएन) के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

आईआरईडीए के महाप्रबंधक एसके शर्मा, एसजेवीएन के महाप्रबंधक जीतेंद्र यादव और जीएमआर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसएन बर्डे ने सोमवार को नई दिल्ली में समझौते पर हस्ताक्षर किए। इरेडा निदेशक मंडल ने 16 जुलाई को नेपाल के अपर कर्णाली में निवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। हालांकि, अब तक इस परियोजना में जीएमआर, एसजेवीएन और आईआरईडीए की हिस्सेदारी का खुलासा नहीं किया गया है।

नेपाल सरकार ने जीएमआर को वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सिर्फ 186 दिन का समय दिया था। 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर होने के बाद जारी अंतरिम आदेश में जीएमआर को इसके बाद कोई भी समय नहीं दिए जाने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि यदि 6 महीने के भीतर वित्तीय संसाधन नहीं जुटाए जाते हैं तो जीएमआर को और अधिक समय नहीं दिया जा सकता है। आखिरी बार सरकार ने 15 जुलाई, 2022 को प्रोजेक्ट के वित्तीय प्रबंधन के लिए 2 साल की समय सीमा बढ़ाई थी। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर, 2022 को रिट पर सुनवाई करते हुए आखिरी बार 6 महीने से अधिक समय न बढ़ाने का आदेश दिया था।

जीएमआर को अपर कर्णाली से जुड़े हुए 16 साल हो गए हैं। परियोजना के निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई बातचीत में जीएमआर के प्रस्ताव को सबसे अच्छा माना गया था और 2008 में तत्कालीन सरकार और जीएमआर के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए थे। तब से लेकर अब तक इस परियोजना का काम शुरू नही हो पाया है। इस परियोजना पर चीन की भी नजर है और भारतीय कंपनी का ठेका रद्द कर खुद लेने के लिए लगातार सरकार पर दवाब बना रहा था। अक्टूबर, 2008 में निवेश बोर्ड और जीएमआर के बीच एक परियोजना विकास समझौते (पीडीए) पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके मुताबिक नेपाल को 12 प्रतिशत बिजली मुफ्त में देने की बात उल्लेख किया गया था।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास