शराब जो आपको मार रही है पल-पल, फिर भी चाह कर भी नहीं छूट पा रही, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
- मनोहर यडवट्टि बेंगलुरु, 9 जून (हि.स.)। जॉन, जोकि 45 वर्षीय दो बच्चों का पिता है, हमेशा काम के बाद
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- मनोहर यडवट्टि

बेंगलुरु, 9 जून (हि.स.)। जॉन, जोकि 45 वर्षीय दो बच्चों का पिता है, हमेशा काम के बाद शराब पीता था। जब तक कि उसे थकान महसूस नहीं होने लगी, पेट में दर्द शुरू नहीं हुआ और उसका चेहरा जब तक पीला नहीं पड़ा, उसे ये शराब कभी हानिकारक नहीं लगी, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचने पर जॉन को पता चला कि उसे कई सालों से बहुत ज़्यादा शराब पीने की वजह से लीवर की गंभीर बीमारी है। अब वह हैरान और डरा हुआ है, उसे लगता है कि काश पहले ही इसके जोखिम के बारे में पता होता।

दरअसल, भारत समेत दुनिया के कई देशों से जुड़ी ऐसी अनगिनत कहानियां आज मौजूद हैं। व्यक्ति ने अपने मजे के लिए शराब पी, लेकिन आज उसकी इस आदत से पूरा परिवार संघर्ष कर रहा है। जॉन जैसी और एक नई कहानी हमारे समाज में न घटे इसके लिए चिकित्सकों ने इससे बचने के कई उपाय बताए हैं। इतना ही नहीं यदि कोई शराब नहीं छोड़ पा रहा है, तो उससे होने वाले नुकसान के साथ कैसे उससे बचाव करें यह भी आज समझाया जा रहा है।

इस संबंध में डॉ. चंद्रम्मा दयानंद सागर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, देवराकाग्गलहल्ली, कनकपुरा तालुक, जिला रामनगर में फार्माकोलॉजी विभाग में प्रोफेसर, डॉ. शिवमूर्ति एन. से हिस ने बातचीत की एवं जाना कि कैसे शराब से बचें और अन्य लोगों को भी इसके प्रति जागृत किया जा सकता है।

डॉ. शिव मूर्ति एन. का कहना है, वास्तव में शराब से होने वाली बीमारियाँ स्वास्थ्य की ऐसी स्थितियाँ हैं जो अत्यधिक शराब के सेवन के परिणामस्वरूप विकसित होती हैं। ये स्थितियाँ शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों को प्रभावित करती हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएँ सामने आती हैं और अगर समय रहते इनका इलाज न किया जाए तो मृत्यु भी हो जाती है।

इस तरह से शराब लीवर को प्रभावित करती है

उन्होंने कहा कि शरीर के पाचन क्रिया का मुख्य केंद्र लीवर, एक बार में केवल एक निश्चित शराब की मात्रा को ही संसाधित कर सकता है। अत्यधिक शराब का सेवन लीवर को प्रभावित करती है, जिससे वसा जमा हो जाती है, सूजन हो जाती है और निशान पड़ जाते हैं। समय के साथ, यह फैटी लीवर रोग, अल्कोहलिक हेपेटाइटिस और सिरोसिस जैसी स्थितियों को जन्म दे देता है। लीवर के ठीक से काम न कर पाने के कारण शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे और भी स्वास्थ्य समस्याएँ होने एवं उनके बढ़ने की संभावना बढ़ जाती हैं ।

फैटी लीवर से होनेवाले रोग

फैटी लीवर रोग तब होता है जब लीवर में बहुत ज़्यादा शराब पीने के कारण अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। यह अक्सर बिना लक्षण वाला होता है, लेकिन अगर शराब पीना जारी रहता है, तो यह लीवर को और भी ज़्यादा नुकसान पहुँचा सकता है। जब लक्षण दिखाई देते हैं, तो उनमें थकान, कमज़ोरी और पेट के ऊपरी दाएँ हिस्से में तकलीफ़ होने लगती है। इसके साथ ही अल्कोहलिक हेपेटाइटिस अत्यधिक शराब के सेवन के कारण लीवर की सूजन है। लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं और इसमें पीलिया (त्वचा और आँखों का पीला पड़ना), बुखार, मतली, उल्टी और पेट दर्द शामिल हैं। गंभीर मामलों में लीवर फेलियर और मौत हो सकती है।

डॉ. शिव मूर्ति एन. कहते हैं कि लीवर से संबंधित सिरोसिस क्रोनिक लीवर रोग का अंतिम चरण है जहाँ स्वस्थ लीवर ऊतक को निशान ऊतक द्वारा बदल दिया जाता है। यह निशान लीवर की कार्य करने की क्षमता को बाधित करता है, जिससे पीलिया, गंभीर थकान, पैरों और पेट में सूजन और भ्रम जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। सिरोसिस से लीवर कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है और लीवर ट्रांसप्लांट के बिना यह जानलेवा भी हो सकता है।

जब हिस संवाददाता ने उनसे शराब से दिल की समस्याएं होने को लेकर प्रश्न किया तो उनका कहना था कि लगातार शराब के सेवन से दिल से जुड़ी कई समस्याएँ होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इससे रक्तचाप बढ़ सकता है, कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों की बीमारी) हो सकती है और अतालता (अनियमित दिल की धड़कन) हो सकती है। इन स्थितियों से दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

अग्न्याशय को बुरी तरह से प्रभावित करती है शराब

डॉ. शिव मूर्ति एन. कहते हैं कि शराब अक्सर अग्न्याशय (पैंक्रियास) की सूजन का कारण बन जाती है, जिसे अग्नाशयशोथ के रूप में जाना जाता है। तीव्र अग्नाशयशोथ से पेट में गंभीर दर्द, मतली और उल्टी होती है। क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस पाचन को खराब कर सकता है और लंबे समय तक दर्द, मधुमेह और अग्नाशय के कैंसर का कारण बन सकता है। अधिकांश कैंसर के मरीजों में ऐसा होता हुआ बड़ी संख्या में इस वक्त देखा भी जा रहा है। शराब पाचन तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित करती है और गैस्ट्रिटिस (पेट की परत की सूजन), अल्सर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर जैसे कि अन्नप्रणाली, पेट और कोलन कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है।

सिर्फ शरीर के अंगों को ही नहीं यह शराब हमारे मस्तिष्क को भी बुरी तरह से प्रभावित करती है। चिकित्सक ने कहा कि लंबे समय तक शराब के सेवन से मस्तिष्क को काफी नुकसान हो सकता है, जिससे संज्ञान, स्मृति और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इससे वर्निक-कोर्साकॉफ सिंड्रोम जैसी स्थिति पैदा हो सकती है, जो एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल विकार है और मनोभ्रंश विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। शराब अवसाद और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को बढ़ा सकती है। यह मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन पैदा कर सकता है और आत्महत्या के जोखिम को बढ़ा सकता है। लगातार शराब के सेवन से अक्सर सामाजिक अलगाव और रिश्तों और काम में समस्याएँ होती हैं।

कमजोर हो जाती है शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली

प्रो. शिव मूर्ति एन. ने कहा कि अत्यधिक शराब का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। यह भारी शराब पीने वालों को निमोनिया और तपेदिक जैसी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। यकृत रोग होने की संभावना बढ़ जाती है, इसके लक्षणों में पीलिया, थकान, पैरों और पेट में सूजन (एडिमा और जलोदर), आसानी से चोट लगना या खून बहना, गहरे रंग का मूत्र, पीला मल और पुरानी खुजली शामिल हैं। ये लक्षण गंभीर यकृत विकार का संकेत देते हैं और इसके लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

इतना ही नहीं तो डॉ. शिव मूर्ति एन. का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से भ्रूण शराब सिंड्रोम (कई जन्म दोष) (FAS) हो सकता है, जिससे बच्चों में शारीरिक, व्यवहारिक और सीखने की समस्याएँ हो सकती हैं। वास्तव में एफएएस के परिणामस्वरूप विकास संबंधी कमियाँ, चेहरे की असामान्यताएँ और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की समस्याएँ हो जाती हैं।

जब डॉ. शिव मूर्ति एन. से शराब से मुक्त होकर जीवन में वापसी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वापसी के लक्षण तब होते हैं जब शराब पर निर्भर व्यक्ति अचानक शराब पीना बंद कर देता है। इन लक्षणों में कंपन, पसीना आना, मतली, चिंता, चिड़चिड़ापन और अनिद्रा शामिल हो सकते हैं। गंभीर वापसी, जिसे डेलिरियम ट्रेमेन के रूप में जाना जाता है, मतिभ्रम और दौरे का कारण बन सकती है, और जीवन के लिए खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए इसके जोखिम को कम करने के लिए, अनुशंसित दिशा-निर्देशों के अनुसार शराब का सेवन सीमित करें, स्वस्थ आहार बनाए रखें, नियमित रूप से व्यायाम करें और अत्यधिक शराब पीने से बचें। यदि आपको अपने पीने को नियंत्रित करने में कठिनाई हो रही है, तो समय रहते मदद लेना महत्वपूर्ण है।

इसके साथ ही अपनी बातचीत में हिस से डॉ. शिव मूर्ति एन. का कहना यह भी रहा है कि गर्भवती महिलाओं को शराब से पूरी तरह बचना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से भ्रूण शराब सिंड्रोम (कई जन्म दोष) (FAS) हो सकता है, जिससे बच्चों में शारीरिक, व्यवहार संबंधी और सीखने संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

उन्होंने कहा कि मदद माँगने की शुरुआत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करके की जा सकती है। अल्कोहलिक्स एनोनिमस, काउंसलिंग और पुनर्वास कार्यक्रम जैसे सहायता समूह संरचित मदद प्रदान करते हैं। पेशेवर उपचार में अक्सर चिकित्सा पर्यवेक्षण, चिकित्सा और दीर्घकालिक सुधार के लिए सहायता शामिल होती है। वहीं, उनका कहना रहा कि व्यायाम, शौक, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना और मॉकटेल, हर्बल चाय और फ्लेवर्ड पानी जैसे गैर-अल्कोहल पेय पदार्थों का उपयोग जैसी गतिविधियों में शामिल होना फायदेमंद हो सकता है। ये विकल्प न केवल स्वास्थ्य में सुधार करते हैं बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक/संजीव