डेड स्टोर में पहुंचे बुंदेलखंड के बांधों को मानसून का इंतजार
बांदा, 20 जून (हि.स.)। बुंदेलखंड में किसानों से लेकर आम आदमी तक की पानी की जरूरत को पूरा करने में अह
डेड स्टोर में पहुंचे बुंदेलखंड के बांधों को मानसून का इंतजार


बांदा, 20 जून (हि.स.)। बुंदेलखंड में किसानों से लेकर आम आदमी तक की पानी की जरूरत को पूरा करने में अहम भूमिका निभाने वाले बांध मानसून आने का इंतजार कर रहे हैं। यूपी और एमपी की सीमा पर बुंदेलखंड में आने वाले कुल 15 बांध हैं। इनमें भारी भरकम भंडारण वाले बांध भी सूख गए हैं। पानी के नाम पर पत्थर और चट्टाने नजर आ रही है। प्रमुख बांधों में गंगऊ, बरियारपुर और रनगंवा इस समय डेड स्टोर पर पहुंच गए हैं। मौदहा बांध में थोड़ा बहुत पानी है। जबकि अन्य बांधों की तलहटी पर नाममात्र का पानी बचा है।

बुंदेलखंड में 15 जून से मानसूनी बारिश शुरू हो जाती है, लेकिन इस वर्ष फिलहाल जल्दी बारिश के आसार नहीं है। सीमावर्ती मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना में स्थित गंगऊ बरियारपुर व रनगंवा बांध-बियर में पानी तलहटी तक पहुंच गया है। अब इनसे पानी नहीं लिया जा सकता है। यह बांध केन नदी पर बने हैं।

दरअसल, बुंदेलखंड के सातों जिलों में ये बांध आम लोगों की जिंदगी के लिए बेहद अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि बुंदेलखंड के बांध सिर्फ और सिर्फ सिंचाई और दूसरी पानी की जरूरतों को नहर प्रणाली के जरिए पूरा करने का काम करते हैं। बुंदेली नहरों का अस्तित्व पूरी तरह से इन बांधों पर ही निर्भर है और यहां के लाखों अन्नदाता बड़ी संख्या में सिंचाई को नहरों पर आश्रित हैं।

खास बात यह है कि बुंदेलखंड में खेती का 40 फीसद रकबे की सिंचाई नहरों के जिम्मे है जबकि बाकी में नलकूप जैसे अन्य संसाधन आते हैं। पूरे मंडल में करीब 2000 किमी लंबी नहरों-माइनरों का जाल फैला हुआ है। इसमें अकेले बांदा जिले में लगभग 1100 किमी लंबी नहरें और माइनरें हैं बाकि 900 किमी लंबी नहरें और माइनरें मंडल के अन्य जिलों में फैली हैं। ऐसे में बांधों के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।

बुंदेलखंड के बांधो में पानी की स्थिति पर नजर डालें तो गंगऊ, रनगंवा और बरियारपुर (तीनों छतरपुर) पानी का स्तर डेड स्टोर है। ओहन 0.13, बरुआ 0.99, रसिन 0.55, गुंता 6.49 (सभी चित्रकूट) इसी तरह चंद्रावल 7. 24, कबरई 5.02, मझगवां 0.56, उर्मिल 1.68 (सभी महोबा) मौदहा हमीरपुर 63.0, लहचुरा महोबा में 5.63 मिलियन घन मीटर जलस्तर है, जबकि क्वौलारी महोबा डेड स्टोर है।

इस बारे में अवर अभियंता सिंचाई विभाग बांदा प्रकाश गोंड का कहना है कि बांधों को भरने के लिए अब मानसून का इंतजार किया जा रहा है। मानसून की बारिश के बाद बांधों की बेहतर स्थिति हो पाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार/अनिल/मोहित