पुलिस को सीआरपीसी के तहत पुनर्विवेचना का आदेश देने का अधिकार नहीं : हाई कोर्ट
-कोर्ट ने पुलिस उपायुक्त सेंट्रल नोएडा गौतमबुद्धनगर व इंस्पेक्टर क्राइम से मांगा हलफनामा प्रयागराज
इलाहाबाद हाईकोर्ट


-कोर्ट ने पुलिस उपायुक्त सेंट्रल नोएडा गौतमबुद्धनगर व इंस्पेक्टर क्राइम से मांगा हलफनामा

प्रयागराज, 11 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना एक महत्वपूर्ण आदेश पारित कर कहा है कि पुलिस दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (8) के अंतर्गत पुनर्विवेचना कर सकती है लेकिन ऐसा करने से पहले उसे मजिस्ट्रेट की अनुमति लेना जरूरी है। मजिस्ट्रेट की अनुमति लिए बगैर विवेचना करने का पुलिस को कोई अधिकार नहीं है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस का कोई भी अधिकारी चाहे वह विवेचना अधिकारी हो अथवा प्रदेश का डीजीपी किसी को भी पुनर्विवेचना का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने का अधिकार केवल हाई कोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट को है, किसी पुलिस अधिकारी को नहीं।

यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर एवं जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने याची नवनीत की याचिका पर पारित किया है। याची के अधिवक्ता आलोक कुमार यादव ने कोर्ट को बताया कि गौतमबुद्धनगर के थाना फेज तीन में एक प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406, 467, 468, 120बी के तहत दर्ज कराया गया। पुलिस ने विवेचना के बाद इसमें चार्जशीट भी दाखिल कर दी। इस चार्जशीट को आरोपित ऋषि अग्रवाल ने हाई कोर्ट में चुनौती दी और हाई कोर्ट ने चार्जशीट को सही मानते हुए अर्जी खारिज कर दी थी। इसी मामले में डिप्टी कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर ने पुनर्विवेचना का आदेश पारित कर दिया। इसके बाद इंस्पेक्टर क्राइम सेल गौतमबुद्धनगर राधारमण सिंह ने विवेचना शुरू कर दी और 6 मई 2024 को फाइनल रिपोर्ट भी लगा दिया। अब इंस्पेक्टर याची को थाने बुलाकर साक्ष्य प्रस्तुत करने का दबाव बना रहे हैं और नोटिस भेजा है।

याचिका दाखिल कर अधिवक्ता आलोक कुमार यादव का तर्क था कि पुलिस को ऐसा करने का क्षेत्राधिकार ही नहीं है। हाई कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर पुनर्विवेचना का आदेश देने वाले डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस सेंट्रल नोएडा गौतमबुध नगर तथा इंस्पेक्टर क्राइम सेल राधा रमन सिंह से उनका व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को स्पष्टीकरण देने को कहा है कि वह बताएं कि किन कारणों से उनके द्वारा इस प्रकार का आदेश पारित किया गया विशेष कर तब जब इस केस में चार्जशीट भी फाइल हो गई है तथा मजिस्ट्रेट ने उस पर संज्ञान भी ले लिया है। कोर्ट ने अन्य विपक्षियों से भी इस मामले में 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रथमदृष्टया पुलिस उपायुक्त सेंट्रल नोएडा गौतमबुध नगर को पुनर्विवेचना का आदेश देने का अधिकार है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद किया जा सकता है।

कोर्ट इस केस की 9 जुलाई 2024 को सुनवाई करेगी। इस बीच कोर्ट ने 3 जून 2024 को जारी नोटिस जो धारा 91/160 सीआरपीसी के तहत इंस्पेक्टर क्राइम सेल द्वारा जारी किया गया था उस पर रोक लगा दी है तथा इंस्पेक्टर अथवा किसी अन्य पुलिस अधिकारी द्वारा याची को इस केस में तलब करने पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने संबंधित मजिस्ट्रेट को पूर्व में दाखिल पुलिस रिपोर्ट के आधार पर केस की सुनवाई जारी रखने को कहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/पवन