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जम्मू, 2 मई (हि.स.)। एक संयुक्त प्रयास में, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) श्रीनगर और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण बडगाम ने विचाराधीन कैदियों के अधिकारों के अलावा गिरफ्तारी से पहले, गिरफ्तारी और रिमांड चरण में न्याय तक पहुंच पर सेंट्रल जेल श्रीनगर में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम का उद्देश्य जेल के कैदियों को आपराधिक न्याय प्रणाली के विभिन्न चरणों में उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना था, जिसमें पूर्व-गिरफ्तारी, गिरफ्तारी और रिमांड के दौरान भी शामिल था। कार्यक्रम में जमानत, पैरोल और फर्लो जैसे विषयों को शामिल किया गया, जिसका उद्देश्य कैदियों को कानूनी प्रणाली को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने में सक्षम बनाना है।
शाहरूक भट, उप कानूनी सहायता बचाव वकील, डीएलएसए बडगाम ने कानूनी सहायता प्राप्त करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, गिरफ्तारी से पहले, गिरफ्तारी और रिमांड चरणों में न्याय तक पहुंच के बारे में बात की। उन्होंने इन प्रावधानों से जुड़ी प्रक्रियाओं और लाभों को समझाते हुए पैरोल और फर्लो के महत्व पर भी जोर दिया।
उरबा रशीद, सहायक कानूनी सहायता बचाव वकील, डीएलएसए श्रीनगर, ने विचाराधीन कैदियों के अधिकारों और आपराधिक न्याय प्रणाली में दलील सौदेबाजी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानूनी प्रणाली को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए कैदियों के लिए अपने अधिकारों के बारे में जागरूकता महत्वपूर्ण है। अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम न्याय के उद्देश्य को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने में काफी मदद करेंगे कि विचाराधीन कैदियों के अधिकारों की रक्षा की जाए और उन्हें बरकरार रखा जाए।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान