लोकसभा चुनाव में एक दिग्गज नेता को मिला था तगड़ा झटका
-चुनाव हारने के बाद यूपी सरकार में बने थे राजस्व मंत्री -सीएम रहते चौधरी चरण सिंह से पूर्व मंत्री क
फोटो-30एचएएम-11चुनाव हारने के बाद यूपी सरकार में बने थे राजस्व मंत्री


-चुनाव हारने के बाद यूपी सरकार में बने थे राजस्व मंत्री

-सीएम रहते चौधरी चरण सिंह से पूर्व मंत्री का हुआ था पंगा

हमीरपुर, 30 अप्रैल (हि.स.)। लोकसभा-47 में आम चुनाव में एक दिग्गज नेता को कांग्रेस के प्रत्याशी से बड़ा झटका मिला था। लोकसभा चुनाव हारने के बाद सियासी पारी खेलने के लिए कांग्रेस में इन्ट्री ली और विधानसभा चुनाव में एमएलए बनने के बाद उन्हें यूपी सरकार में राजस्व मंत्री बनाया गया था। पहली मर्तबा चुनावी समर में आए इस दिग्गज नेता को 34 फीसदी से अधिक मत मिले थे।

फतेहपुर जिले के खजुआ गांव के मूल निवासी उदित नारायण शर्मा अपने परिवार सहित वर्ष 1937 में हमीरपुर शहर में आकर बसे थे। उन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी, जिस पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। शुरू में ये अधिवक्ता थे जो पूरे बुन्देलखंड क्षेत्र में वकालत करते थे। अंग्रेजों के खिलाफ भी ये क्रांतिकारी साथियों के साथ सड़क पर उतरे थे। जिस पर इन्हें छह माह तक जेल में रहना पड़ा था। वर्ष 1947 में इन्होंने हमीरपुर में जिला परिषद के चेयरमैन पद के लिए दीवान शत्रुघ्न सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में आए थे, लेकिन ये हार गए थे। ये तीन बार एमएलए बने थे। ये 1977 में महोबा विधानसभा की सीट से जनता पार्टी के टिकट से एमएलए चुने गए थे। वहीं चन्द्रशेखर की पार्टी से ही जहानाबाद सीट से भी विधायक बने थे। विधायक रहते इनकी हत्या वर्ष 1980 में हो गई थी।

सियासी पारी खेलने को क्रांतिकारी ने ज्वाइन की थी पीएसपी

उदित नारायण शर्मा ने सियासी पारी खेलने के लिए वर्ष 1952 में पीएसपी (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी) ज्वाइन की थी। इन्होंने वर्ष 1962 में विधानसभा चुनाव में पहली बार कदम रखा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। पूर्व विधायक जगदीश नारायण शर्मा ने बताया कि पिता उदित नारायण शर्मा ने 1967 में पीएसपी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की थी। बताया कि कांग्रेस शासनकाल में कामराज योजना चलाई गई थी। उस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। तभी अशोक मेहता के साथ इन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली थी।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पहली बार बने थे सूबे के राजस्व मंत्री

कांग्रेस के शासनकाल में कामराज योजना लागू हुई जिससे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जनादेश मिला। यहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उदित नारायण शर्मा, कांग्रेस के टिकट से वर्ष 1967 में झांसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और वह पहली बार में ही एमएलए बने थे और तो और वह चौधरी चरण सिंह की सरकार में राजस्व मंत्री भी बनाए गए थे। लेकिन उन्हें दो साल के अंदर ही मंत्री पद छोड़ना पड़ा। मध्यावधि चुनाव में उदित नारायण शर्मा कमलापति की सरकार में इन्हें फिर राजस्व मंत्री बनाया गया।

सीएम रहते चौधरी चरण सिंह से पूर्व मंत्री का हुआ था पंगा

पूर्व मंत्री के बुजुर्ग पुत्र जगदीश नारायण शर्मा ने बताया कि राष्ट्रपति पद के लिए वर्ष 1969 में चुनाव हुए थे जिसमें कांग्रेस से घोषित प्रत्याशी को छोड़ इन्दिरा गांधी ने वीवी गिरी का समर्थन करने का फैसला किया था। इधर सीएम रहते चौधरी चरण सिंह ने तीसरे उम्मीदवार सीडी देशमुख को प्रथम वरीयता का वोट देने की बात कही थी जिसका विरोध पूर्व मंत्री उदित नारायण शर्मा ने किया। राष्ट्रपति के चुनाव के बाद पूर्व मंत्री को अपनी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। उन्हें राजस्व मंत्री का पद भी छोड़ना पड़ा था।

सीएम से पंगा होने पर पूर्व मंत्री गिरफ्तार कर भेजे गए थे जेल

चौधरी चरण सिंह से पंगा होने के बाद पूर्व राजस्व मंत्री उदित नारायण शर्मा ने फिर कांग्रेस ज्वाइन की। 1974 में सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा से इनका एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ शिकायत करने के मामले को लेकर विवाद हो गया,जिस पर पूर्व मंत्री ने कांग्रेस छोड़कर चन्द्रशेखर की जनता पार्टी ज्वाइन की। जनता पार्टी में इन्ट्री होने के बाद देश में इमरजेंसी लगी। पूर्व विधायक जेएन.शर्मा ने बताया कि इमरजेंसी में प्रदेश सरकार के इशारे पर पूर्व मंत्री उदित नारायण शर्मा को गिरफ्तार कर 11 माह तक जेल में रखा गया था।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश