कोडईकनाल में चौथे दिन भी आग लगी रही, एंटीफायर वॉचेस और ग्राम वन समिति आग बुझाने में जुटे
चेन्नई (तमिलनाडु), 28 अप्रैल (हि.स.)। गर्मी के मौसम में जंगल और जंगली इलाकों में आग लगना कोई असामान्
कोडईकनाल में चौथे दिन भी आग लगी रही, एंटीफायर वॉचेस और ग्राम वन समिति आग बुझाने में जुटे


चेन्नई (तमिलनाडु), 28 अप्रैल (हि.स.)। गर्मी के मौसम में जंगल और जंगली इलाकों में आग लगना कोई असामान्य बात नहीं है लेकिन इस बार यह व्यापक रूप से फैल गई और अनियंत्रित रूप से जल रही थी। जंगल की आग बुझाने के बाद कोडईकनाल की ऊपरी पहाड़ियों पर धुआं उठता दिखाई दे रहा है। कोडईकनाल की ऊपरी पहाड़ियों के कुछ हिस्सों में शुक्रवार से भड़की जंगल की आग आरक्षित वन और पट्टा भूमि के कुछ आंतरिक हिस्सों में जलती रही।

इस मामले में तमिलनाडु वन विभाग अधिकारियों ने दावा किया कि कुछ इलाकों को छोड़कर आग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। वन विभाग के अनुसार विभाग के अधिकारियों, एंटी-फायर वॉचर्स और ग्राम वन समिति के सदस्यों की टीमों को, जिनकी संख्या 150 से अधिक थी, पूमपराई, मन्नावनुर के कुछ हिस्सों में लगी आग को बुझाने के लिए स्थानों पर तैनात किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि उनके अलावा, कोडईकनाल, डिंडीगुल और पलानी के अग्निशमन और बचाव सेवा कर्मियों को भी सेवा में लगाया गया था।

वन अधिकारियों ने यह भी बताया कि स्थिति पर नियंत्रण पाने के बाद मन्नावनूर, कावुंजी, पूंडी और किलावराई इलाकों में बिजली आपूर्ति लगभग 90 प्रतिशत बहाल कर दी गई है। अधिकारियों ने कहा कि आग लापरवाही से सिगरेट फेंकने या पर्याप्त सावधानी बरते बिना वन क्षेत्रों के पास खाना पकाने जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण लगी हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह तेज रफ्तार वाहनों से निकलने वाली गर्मी या बिजली के खंभों से निकलने वाली चिंगारी के कारण भी हो सकता है जो घास, झाड़ियों और सूखी पत्तियों में फैल सकती है।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ आर. बी. चौधरी/प्रभात